नई दिल्ली. यूपी में कांवड़ यात्रा (Kanwar Yatra in UP) के दौरान दुकानों पर नेमप्लेट (Nameplate) लगाए जाने का विवाद थम नहीं रहा है. यूपी की बीजेपी (BJP) सरकार के फैसले पर एनडीए के सहयोगी दल भी विरोध में देखे जा रहे हैं. पहले जेडीयू (JDU) ने तीखी प्रतिक्रिया दी. फिर आरएलडी (RLD) और LJP (R) ने भी दुकानों पर नेमप्लेट लगाने के आदेश का विरोध किया है. हालांकि, NDA की एक और सहयोगी हिंदुस्तान आवामी मोर्चा ने योगी सरकार के फैसले का समर्थन किया है.
इधर, इस विवाद पर बीजेपी ने भी सफाई दी है. पार्टी प्रवक्ता शाजिया इल्मी का कहना था कि ये नियम पहली बार 2006 में यूपीए सरकार के दौरान लाया गया था. खाद्य प्रमाणन एजेंसियों के इंस्पेक्टरों को इस मामले को हैंडल करना चाहिए. चूंकि विभिन्न समुदायों में अलग-अलग प्रतिबंध हैं, इसलिए समुदाय विशेष के लिए उपलब्ध भोजन के अनुरूप दुकानों पर सर्टिफिकेट दिए जाएं. इस मुद्दे को सांप्रदायिक रंग देने के बजाय एजेंसियों को इस स्थिति को हैंडल करना चाहिए.
केंद्रीय राज्य मंत्री और आरएलडी प्रमुख जयंत चौधरी ने कांवड़ यात्रा मार्ग पर नेमप्लेट लगाने के यूपी सरकार के आदेश का विरोध किया और इसे वापस लेने की मांग की. चौधरी का कहना था कि यह कोई सोच-समझकर या तर्कसंगत फैसला नहीं लगता है. किसी भी फैसले से समुदाय की भलाई और समुदाय में सौहार्द की भावना को नुकसान नहीं पहुंचना चाहिए. जो लोग कांवड़ यात्रा पर जाते हैं और जो लोग उनकी सेवा करते हैं, ये परंपरा शुरू से ही रही है और लोगों की पहचान करने जैसी बात किसी ने कभी नहीं देखी. विपक्ष क्या कह रहा है, उससे मेरा कोई लेना-देना नहीं है.
मोदी जी की सोच के विपरीत है ये नियम: जेडीयू
एनडीए की एक और सहयोगी पार्टी जेडीयू ने भी यूपी सरकार के आदेश पर आपत्ति जताई. जेडीयू महासचिव केसी त्यागी ने तीन दिन पहले एक बयान में कहा, इससे बड़ी (यूपी के संदर्भ में) कांवड़ यात्रा बिहार में निकलती है, लेकिन वहां ऐसे कोई आदेश नहीं हैं. प्रधानमंत्री कहते हैं कि ‘सबका साथ सबका विकास’ तो उसे मानना चाहिए. ये लगाए गए प्रतिबंध पीएम के इस स्लोगन के खिलाफ हैं. राज्य सरकार को ये नियम वापस लेने पर विचार करना चाहिए. त्यागी का कहना था कि इससे सांप्रदायिक विभाजन होता है. ये नियम बिहार में नहीं है. राजस्थान से कांवड़ यात्रा गुजरेगी, वहां भी नियम नहीं है. बिहार और झारखंड में जो सबसे ज्यादा मान्यता प्राप्त धार्मिक स्थल है, वहां भी ऐसा नियम नहीं है. हम एनडीए को मजबूत और खुशहाल देखना चाहते हैं. मोदी जी की जो कीर्ति है, वो कम ना हो, ये चाहते हैं. लिहाजा, ये नियम वापस लिया जाए.
चिराग पासवान भी विरोध में
एनडीए की सहयोगी लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने कहा कि ‘जातिवाद और सांप्रदायिकता ने देश को किसी भी अन्य चीज से अधिक नुकसान पहुंचाया है. चिराग का कहना था कि जब भी जाति या धर्म के नाम पर कोई विभाजन होता है, तो मैं इसका बिल्कुल समर्थन नहीं करता.
बिहार के अन्य दलों से अलग है मांझी का रुख
NDA के हिंदुस्तान आवाम मोर्चा के प्रमुख और केंद्रीय मंत्री जीतनराम मांझी ने यूपी सरकार के फैसले का समर्थन किया है. मांझी ने कहा, इसमें कुछ भी गलत नहीं है. कांवड़ यात्रा मार्ग पर फल विक्रेताओं को उनके स्टॉलों पर अपने नाम लिखने के लिए कहे जाने में कुछ भी गलत नहीं है. मांझी का कहना था, मैं अन्य दलों के लिए नहीं बोल सकता, लेकिन मुझे इस तरह के आदेश में कुछ भी गलत नहीं दिखता. अगर व्यवसायों में शामिल लोगों को अपना नाम और पता प्रमुखता से प्रदर्शित करने के लिए कहा जाता है तो इसमें नुकसान क्या है? केंद्रीय मंत्री मांझी ने कहा, वास्तव में नेम प्लेट से खरीदारों के लिए पसंदीदा स्टॉल देखना आसान हो जाता है. इस मामले को धर्म के चश्मे से देखना गलत है.
विपक्षी दलों में किसने क्या कहा…
– यूपी कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय का कहना है, अगर चिराग पासवान और जयंत चौधरी वाकई इस फैसले के खिलाफ हैं तो उन्हें सरकार से अपना समर्थन वापस ले लेना चाहिए. यह फैसला निश्चित रूप से गलत है.
– सर्वदलीय बैठक के बाद एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा, हमने कहा कि अगर कोई सरकार संविधान के खिलाफ कोई आदेश पारित करती है तो भारत सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए. ऐसा आदेश जारी करना अनुच्छेद 17 का उल्लंघन है. वे छुआछूत को बढ़ावा दे रहे हैं. यह जीवन के अधिकार के खिलाफ है. आप आजीविका के खिलाफ हैं. यह सिर्फ नफरत की निशानी है. मुसलमानों के खिलाफ खुला भेदभाव है.
– समाजवादी पार्टी के सांसद रामगोपाल यादव ने कहा, उत्तर प्रदेश सरकार का फैसला असंवैधानिक है. यह उत्तर प्रदेश के मुसलमानों पर अत्याचार करने का एक तरीका है. हम इसका विरोध करते हैं. पूरा विपक्ष हमारे साथ है.
– तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा ने उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकारों के निर्देश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है. महुला ने अपनी याचिका में मांग की है कि दोनों राज्य सरकारों द्वारा पारित आदेशों पर रोक लगाई जाए. ऐसे निर्देश समुदायों के बीच कलह को बढ़ाते हैं. याचिका को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाना बाकी है. वहीं, सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस हृषिकेश रॉय और एसवीएन भट्टी की बेंच एनजीओ एसोसिएशन ऑफ प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स द्वारा दायर याचिका पर आज सुनवाई कर सकती है.
– योग गुरु रामदेव ने यूपी सरकार के आदेश को उचित ठहराया और कहा, किसी को भी अपना परिचय देने में कोई समस्या नहीं होनी चाहिए. जब रामदेव को अपनी पहचान उजागर करने में कोई समस्या नहीं है तो फिर रहमान को कोई दिक्कत नहीं होनी चाहिए?
आज से कांवड़ यात्रा शुरू…
कावंड यात्रा में दुकानों पर नेमप्लेट विवाद का मुद्दा आज संसद और सुप्रीम कोर्ट में गूंजेगा. इधर, दिल्ली पुलिस ने सोमवार से कांवड़ यात्रा से पहले ट्रैफिक एडवाइजरी जारी की है. हिंदू कैलेंडर के अनुसार सावन महीने की शुरुआत के साथ सोमवार को कांवड़ यात्रा शुरू होगी. यात्रा के लिए कई राज्यों में व्यापक व्यवस्था की गई है. इस दौरान लाखों शिव भक्त हरिद्वार में गंगा से पवित्र जल ले जाते हैं और इसे शिवलिंगों पर चढ़ाते हैं.
कावंड़ यात्रा को लेकर उत्तराखंड में प्रशासन की क्या तैयारियां?
– हरिद्वार के एसएसपी प्रमोद सिंह डोबाल कहते हैं, ‘पूरे कांवड़ मेला क्षेत्र को 14 सुपर जोन और 35 जोन में बांटा गया है. 32 से ज्यादा सेक्टर बनाए गए हैं. 5,500 से ज्यादा पुलिसकर्मी कांवड़ यात्रा की व्यवस्था में लगे हुए हैं. रूट डायवर्जन और पार्किंग की भी व्यवस्था की गई है. किसी भी तरह की अव्यवस्था से बचने के लिए मौके पर पुलिस की व्यवस्था की गई है. पुलिस पूरी तरह से तैयार है. 22 जुलाई से कांवड़ यात्रा शुरू होगी. हरिद्वार का मार्ग बदला जा रहा है.
– ईस्टर्न रेंज के एडिशनल सीपी (ट्रैफिक) दिनेश कुमार गुप्ता का कहना है, हमने कांवड़ यात्रा के लिए सभी रूटों की पहचान कर ली है और वहां पर्याप्त तैनाती कर दी है… कांवरियों की भीड़ बढ़ने के साथ हमें रूट डायवर्ट करने होंगे. हमने सोशल और प्रिंट मीडिया पर मार्गों के संबंध में एक सलाह भी जारी की है.
यूपी सरकार ने क्या आदेश दिए?
दरअसल, यूपी में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कांवड़ यात्रा से पहले जरूरी निर्देश जारी किए हैं. सरकार के मुताबिक, सड़क किनारे ठेले समेत हर खाद्य पदार्थ की दुकान के मालिक को अपने नाम का बोर्ड लगाना जरूरी होगा. एक दिन पहले ही इस नियम की शुरुआत मुजफ्फरनगर में हुई थी. वहां स्थानीय प्रशासन ने कांवड़ यात्रियों के रास्ते में पड़ने वाली दुकानों पर उनके मालिक और संचालक के नाम लिखने के निर्देश दिए थे. अब ये नियम पूरे प्रदेश में लागू होगा. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को अफसरों के साथ समीक्षा बैठक की और पूरे प्रदेश में कांवड़ यात्रियों के रास्ते में पड़ने वाली हर दुकान के मालिक और उसके संचालक का नाम लिखने का निर्देश दिया है. मुख्यमंत्री ने हलाल प्रोडक्ट्स बेचने वालों पर भी कार्रवाई करने का आदेश दिया है. कई विपक्षी नेताओं ने यूपी सरकार से आदेश वापस लेने के लिए कहा है.
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