बारामती(Baramati) । पुणे शहर (Pune City)में शनिवार को जिला योजना एवं विकास समिति की बैठक हो रही थी। इस बैठक में जिला संरक्षक मंत्री(District Guardian Minister) होने के नाते अजीत पवार (ajit pawar)भी मौजूद थे। उन्होंने बैठक की अध्यक्षता की। इस दौरान उन्होंने अपने चाचा और एनसीपी (एसपी) अध्यक्ष शरद पवार से साफ कहा कि उन्हें सवाल उठाने का कोई अधिकार नहीं है। इसके बाद वरिष्ठ पवार अगले दो घंटे तक चुप रहे। बैठक में एनसीपी के दोनों गुटों के नेताओं के बीच तीखी नोकझोंक भी हुई।
चाचा से सवाल पूछने पर बेटी सुप्रिया सुले नाराज
अजीत पवार द्वारा डीपीडीसी में अपने चाचा के बोलने के अधिकार पर सवाल उठाने से उनकी बेटी और बारामती की सांसद सुप्रिया सुले नाराज हो गईं। बैठक के कुछ देर बाद सुले ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, “आज की डीपीडीसी बैठक से बहुत कुछ सीखने को मिला। शरद पवार जिला संरक्षक मंत्री अजीत पवार के आने से पांच मिनट पहले बैठक में पहुंचे। जब अजीत पवार आए तो प्रोटोकॉल के अनुसार शरद अपनी कुर्सी से उठ गए। यह पुरानी दुनिया की राजनीति का एक वास्तविक उदाहरण था, जिसके लिए महाराष्ट्र प्रसिद्ध है।”
अचानक यह नियम पुस्तिका क्यों सामने आई है?
सुले ने आगे कहा कि जब शरद ने सवाल पूछे तो अजीत पवार ने उन्हें नियम दिखाने का प्रयास किया। सुले ने कहा, “उन्होंने कहा कि सांसद केवल आमंत्रित सदस्य हैं और उन्हें सवाल नहीं पूछने चाहिए। उन्होंने इस संबंध में एक सरकारी प्रस्ताव का हवाला देने की कोशिश की। मैं 18 साल से सांसद हूं। सभी सांसदों और विधायकों ने हमेशा डीपीडीसी की बैठकों में सवाल उठाए हैं। इतने सालों बाद अचानक यह नियम पुस्तिका क्यों सामने आई है? वह भी शरद पवार पर नियम पुस्तिका फेंकना, जो 83 साल के हैं और जो न केवल महाराष्ट्र में बल्कि भारत में भी सबसे बड़े नेता हैं।”
सुले ने कहा कि अजीत पवार इस बात पर जोर देते रहे कि सांसद विशेष आमंत्रित सदस्य हैं। उन्होंने सरकारी राजपत्र अधिसूचना की एक प्रति दिखाते हुए कहा, “नियम यह स्पष्ट करते हैं। आप कानून द्वारा विशेष आमंत्रित सदस्य हैं। कानून आपको भाग लेने का अधिकार भी देता है।” सुले ने कहा कि शनिवार को डीपीडीसी की बैठक में जो कुछ भी हुआ, वह महाराष्ट्र की राजनीति की संस्कृति में पहली बार हुआ। यह देखना दुखद है।
आपको बता दें कि डीपीडीसी की बैठक में पुणे के सांसद और विधायक मौजूद थे और अजीत पवार अध्यक्षता कर रहे थे। शरद पवार ने अजीत पर तीन सवाल दागे। शरद ने अजीत की ओर देखे बिना और अजीत से तीन कुर्सियां दूर बैठे हुए बारामती में पेयजल प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में जानना चाहा।
शरद पवार ने कहा, “बारामती शहर में आपूर्ति किया जाने वाला पेयजल प्रदूषित है। अगर हम इसमें हाथ डालें तो काले रंग का पानी दिखाई देगा। इस संबंध में कार्रवाई करें।” अपने जवाब में अजीत पवार ने कहा, “कुछ उद्योग बारामती को प्रदूषित कर रहे हैं। प्रदूषण बोर्ड को उन्हें नोटिस भेजने के लिए कहा गया है। अगर हम उद्योग बंद कर देंगे तो इससे किसानों के लिए समस्या पैदा होगी।”
सुले और शिरुर के सांसद अमोल कोल्हे ने सवाल पूछना शुरू किया और जानना चाहा कि सांसदों को विकास निधि क्यों आवंटित नहीं की जा रही है। अजीत पवार ने सीधे उनके सवालों का जवाब देने से इनकार कर दिया। जिला कलेक्टर सुहास दिवासे ने उनके सवालों का जवाब दिया। हालांकि बैठक के बाद अजीत पवार ने सुले की तारीफ की।
अजीत पवार ने कहा, “आज की बैठक में सुप्रिया सुले ने एक अच्छा सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री को महाराष्ट्र के लोकसभा सांसदों की एक बैठक बुलानी चाहिए ताकि उनके निर्वाचन क्षेत्रों के मुद्दों को समझा जा सके। उन्होंने कहा कि इससे महाराष्ट्र के मुद्दों को लोकसभा में उठाने में मदद मिलेगी। यह एक अच्छा सुझाव है। अभी तक राज्य सरकार द्वारा इस संबंध में सांसदों को केवल एक पुस्तिका वितरित की जा रही थी। इस संबंध में मैंने मुख्यमंत्री को फोन करने की कोशिश की, लेकिन उनसे संपर्क नहीं हो सका। मैं उनसे फिर से संपर्क करने की कोशिश करूंगा और सुनिश्चित करूंगा कि इस तरह की बैठक हो।”
जब शरद पवार ने तालुका के अनुसार निधि आवंटन के आंकड़े निर्धारित करने से संबंधित अन्य प्रश्न पूछना शुरू किया तो अजीत पवार ने कहा, “वे बैठक में आमंत्रित हैं और प्रोटोकॉल के अनुसार सवाल नहीं पूछ सकते। केवल डीपीडीसी सदस्य ही सवाल पूछ सकते हैं।”
बैठक के बाद अजीत पवार ने संवाददाताओं से कहा, “मैंने अभी-अभी सरकारी प्रस्ताव पढ़ा है जिसमें नियम बताए गए हैं कि बैठक में किसे बोलने का अधिकार है। सबसे पहले डीपीडीसी अध्यक्ष, फिर संयुक्त अध्यक्ष और उसके बाद सदस्य। कई लोगों को आज तक नियमों के बारे में पता ही नहीं था।”
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