नई दिल्ली (New Delhi) । शहरी क्षेत्रों में पीएम आवास योजना (PMAY) के तहत मध्यम आय वर्ग के लाभार्थियों के लिए इनकम लिमिट (Income Limit) 18 लाख से घटाकर 10 लाख रुपये हो सकती है। केंद्र सरकार (Central government) इसपर विचार कर रही है और अगले चरण में इसे बेहतर ढंग से लागू करेगी। साथ ही बेहतर निगरानी सुनिश्चित करने के लिए एकमुश्त भुगतान के बजाय सब्सिडी के पांच वर्षों में बांटने का भी विचार है।
अधिकारियों ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि इस योजना को पिछले साल लाल किले से प्रधानमंत्री की घोषणा को ध्यान में रखते हुए फिर से डिजाइन किया गया है। योजना के लिए वित्तीय आवंटन मंगलवार को पेश किए जाने वाले बजट का हिस्सा होने की संभावना है।
एमआईजी लाभार्थियों के लिए ब्याज सब्सिडी पर चुप्पी
दूसरी ओर अधिकारी एमआईजी लाभार्थियों के लिए ब्याज सब्सिडी के बारे में चुप हैं, लेकिन सूत्रों ने कहा कि यह लगभग 2.6 लाख रुपये हो सकता है। पहले चरण में सरकार ने एमआईजी को दो श्रेणियों में रखा था। पहला, जिनकी सालाना इनकम 6 लाख रुपये से 12 लाख रुपये के बीच है और दूसरा वे परिवार, जिनकी वार्षिक आय 12 लाख से 18 लाख रुपये के बीच है।
अब क्या हो सकता है
अब केवल एक एमआईजी श्रेणी हो सकती है। हाल ही में प्रधानमंत्री मोदी के समक्ष एक प्रजेंटेशन के बाद योजना जल्द ही कैबिनेट के समक्ष रखी जाने की संभावना है।शहरों में किराए के घरों, अवैध कॉलोनियों और झुग्गियों में रहने वाले परिवारों को अपना घर बनाने के लिए “लाख रुपये” की मदद देकर बैंक ऋण ब्याज में राहत देना। उन्होंने कहा कि पिछली योजना से सीख के आधार पर कई नए प्रावधान किए गए हैं, ताकि सिस्टम को मात देने की गुंजाइश को खत्म किया जा सके।
बता दे मोदी सरकार 3.0 की अपनी पहली कैबिनेट बैठक में सरकार ने अगले पांच वर्षों में तीन करोड़ घरों – ग्रामीण क्षेत्रों में दो करोड़ और शहरी क्षेत्रों में एक करोड़ के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए योजना के दूसरे चरण को आगे बढ़ाया था, लेकिन इसके लिए होने वाली लागत को मंजूरी दी जानी है।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved