मुंबई (Mumbai)। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (Nationalist Congress Party) ने बुधवार को दावा किया कि आरएसएस से जुड़े मराठी साप्ताहिक (marathi weekly)में भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के गठबंधन पर सवाल उठाने वाली एक रिपोर्ट उपमुख्यमंत्री अजित पवार को महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ दल छोड़ने का एक सूक्ष्म संदेश है। आरएसएस से जुड़े प्रकाशन ‘विवेक’ का दावा है कि अजित पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी के साथ गठबंधन के बाद महाराष्ट्र में मतदाताओं की भावनाएं भाजपा के खिलाफ हो गईं, जिसके परिणामस्वरूप भगवा पार्टी का प्रदर्शन खराब रहा।
प्रकाशन द्वारा किए गए एक अनौपचारिक सर्वेक्षण के अनुसार, भाजपा के सदस्यों ने पवार के साथ हाथ मिलाने के पार्टी के फैसले को अस्वीकार कर दिया। अजित पवार ने अपने चाचा शरद पवार की एनसीपी को तोड़ दिया और पिछले साल जुलाई में ‘महायुति’ गठबंधन में शामिल हो गए।
लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र में भाजपा के सांसदों की संख्या घटकर नौ रह गई। शिवसेना और एनसीपी ने क्रमशः सात और एक सीट जीती। इसके विपरीत, विपक्षी महा विकास अघाड़ी (एमवीए) ने शानदार प्रदर्शन किया। 48 में से 30 सीटें जीतीं।
बुधवार को एनसीपी (एसपी) के प्रवक्ता क्लाइड क्रैस्टो ने दावा किया कि भाजपा को एहसास हो गया है कि अजीत पवार के नेतृत्व वाली पार्टी के साथ उसका गठबंधन महाराष्ट्र में आने वाले विधानसभा चुनावों में उसकी संभावनाओं को नुकसान पहुंचाने वाला है। उन्होंने कहा, “वास्तविकता यह है कि महाराष्ट्र के लोगों ने बड़े पैमाने पर एनसीपी (एसपी) के पक्ष में मतदान किया है। भाजपा भी पूरे मामले में सावधानी से काम कर रही है क्योंकि वह चुनाव जीतना चाहती है। लेकिन उपमुख्यमंत्री अजीत पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी के साथ उसका गठबंधन उन्हें लोकसभा चुनावों की तरह चुनाव हारने वाला है।”
उन्होंने आगे कहा, साप्ताहिक (विवेक) के जरिए भाजपा खुद को अजीत पवार से दूर करने की कोशिश कर रही है। शायद उन्हें किसी न किसी तरह महायुति छोड़ने के लिए कह रहे हैं।
महाराष्ट्र में गठबंधन को स्वीकार नही कर रहे कार्यकार्ता
क्रैस्टो ने दावा किया कि महाराष्ट्र के मतदाताओं ने भाजपा के एनसीपी और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के साथ गठबंधन को स्वीकार नहीं किया है। उन्होंने कहा, “अजित पवार को साथ लाने के फैसले ने भाजपा के लिए परेशानी खड़ी कर दी है। इसके कारण पार्टी को महाराष्ट्र में कई लोकसभा सीटें गंवानी पड़ी हैं। महाराष्ट्र की चुनावी राजनीति में यही मौजूदा हकीकत है। ऐसा लगता है कि लोगों ने भाजपा के एनसीपी और इसी तरह शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के साथ गठबंधन को स्वीकार नहीं किया है।”
आपको बता दें कि पिंपरी-चिंचवाड़ के एनसीपी प्रमुख अजीत गव्हाने सहित 25 नेताओं ने पार्टी छोड़कर एनसीपी (एसपी) में शामिल हो गए। इसे अजित पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है।
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