इंदौर। 22 साल पहले मौजूदा सेंट्रल जेल को शिफ्ट करने का प्रोजेक्ट तैयार हुआ और हाउसिंग बोर्ड को इसकी जिम्मेदारी सौंपी गई। सांवेर रोड पर नई जेल के निर्माण के साथ ही वर्तमान जेल के स्थान पर हाउसिंग बोर्ड को आवासीय प्रोजेक्ट लाना था। मगर अधूरे निर्माण के बीच ही हाउसिंग बोर्ड से किया गया अनुबंध शासन ने खत्म कर दिया और फिर लोक निर्माण विभाग को इसकी जिम्मेदारी सौंप दी गई। मगर वह भी सेंट्रल जेल प्रोजेक्ट को पूरा नहीं कर सका, क्योंकि शासन से राशि ही नहीं मिली। 51 एकड़ के इस अधूरे प्रोजेक्ट को अब पूरा किया जाएगा। पिछले दिनों कैबिनेट ने 217 करोड़ रुपए की राशि इसके लिए स्वीकृत की है। नतीजतन नई खुली सेंट्रल जेल तमाम सुविधाओं के साथ पूरी हो सकेगी।
वर्ष 2002 में शहर के बीच स्थित सेंट्रल जेल को बाहर शिफ्ट करने की योजना बनाई गई, क्योंकि वर्तमान सेंट्रल जो कि स्नेहलतागंज में मौजूद है उसमें क्षमता से अधिक कैदी हैं और अन्य समस्याएं भी कम नहीं है। लिहाजा हाउसिंग बोर्ड के साथ पुनर्घनत्वीकरण योजना के तहत शासन ने अनुबंध कराया, जिसमें हाउसिंग बोर्ड को नई सेंट्रल जेल सांवेर रोड पर बनाकर देना थी और बदले में उसे सेंट्रल जेल की जमीन मिलती, जिस पर वह अपना आवासीय और व्यवसायिक प्रोजेक्ट लाता। जोर-शोर से यह प्रोजेक्ट शुरू भी हुआ और सांवेर रोड पर जेल विभाग को शासन द्वारा आबंटित 51 एकड़ जमीन पर हाउसिंग बोर्ड ने निर्माण भी शुरू कर दिया, तो दूसरी तरफ सेंट्रल जेल की जमीन पर आने वाले आवासीय प्रोजेक्ट में बुकिंग तक की तैयारी कर ली थी। मगर बाद में शासन ने हाउसिंग बोर्ड से यह अनुबंध समाप्त करा दिया और फिर लोक निर्माण विभाग के पीआईयू सेल को इसकी जिम्मेदारी सौंपी। प्रशासनिक भवन, बाउण्ड्रीवॉल, 21 आवासों सहित कई अन्य निर्माण मौके पर हो भी गए हैं और उसके बाद फिर 10-12 सालों से काम बंद पड़ा था।
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