इंदौर। सैकड़ों सालों से सारी दुनिया (World) में प्लास्टिक सर्जरी (Plastic Surgery) चिकित्सा का डंका बज रहा है । प्लास्टिक सर्जरी से दुनियाभर के अंगभंग वाले या चोट की वजह से कटे-पिटे करोड़ों घायल अपने शरीर के स्वरूप को ठीक करा रहे हैं, मगर हैरत की बात यह है कि एलोपैथी (Allopathy) में विख्यात प्लास्टिक सर्जरी चिकित्सा का जनक आयुर्वेद शल्य चिकित्सा विज्ञान (Ayurveda Surgical Science) है । इसका आविष्कार 2300 साल (2300 years) पहले आयुर्वेद आचार्य महाऋषि वैज्ञानिक सुश्रुत (scientist Sushrut) ने किया था। यह और बात है कि किसी भी आयुर्वेद अस्पताल में प्लास्टिक सर्जरी नहीं की जाती।
कल अष्टांग आयुर्वेद कॉलेज में वल्र्ड प्लास्टिक-डे पर प्लास्टिक सर्जरी के जनक आयुर्वेद शल्य चिकित्सा के वैज्ञानिक महाऋषि आचार्य सुश्रुत दिवस मनाया गया। डॉक्टर अखिलेश भार्गव ने कहा कि सुश्रुत संहिता के सूत्र स्थान के 16वें अध्याय में प्लास्टिक सर्जरी चिकित्सा का वर्णन आचार्य सुश्रुत ने किया है। यह आयुर्वेद की देन है कि पूरे विश्व में करोड़ों लोगों को प्लास्टिक सर्जरी का फायदा मिल रहा है। प्राचीन सुश्रुत संहिता में 300 से अधिक सर्जरी सहित सभी प्रकार के आधुनिक यंत्रों का भी वर्णन है।
ऑस्ट्रेलिया में महाऋषि सुश्रुत की मूर्ति लगी है
भारत के आचार्य सुश्रुत शल्य चिकित्सा के जनक हैं, इस बात को कोलंबिया मेडिकल सेंटर ने भी स्वीकारा है। सुश्रुत संहिता किताब में 1100 बीमारियों, सैकड़ों औषधीय पौधों और सर्जरी करने के तरीकों के बारे में लिखा है। इसमें तीन तरह की त्वचा और नाक की सर्जरी का भी उल्लेख है। ऑस्ट्रेलिया के मेलबोर्न स्थित रॉयल ऑस्ट्रेलिया कॉलेज ऑफ सर्जंस में महर्षि सुश्रुत की मूर्ति भी लगी है। यह कॉलेज उन डॉक्टरों को ट्रेनिंग देने के लिए जाना जाता है जो सर्जरी में महारत हासिल करना चाहते हैं।
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