नई दिल्ली. ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) का कहना है, “हम (Muslims) कोई वोट डालने वाली मशीन (voting machines) नहीं हैं. हम एटीएम (ATM) नहीं हैं कि तुम आओ और हमको दबा दो और हम डालते जाएं वोट.” उन्होंने कहा कि ये सवाल मुसलमानों को सोचना है. वह महाराष्ट्र के छत्रपति संभाजीनगर में थे, जब उन्होंने यह बात कही.
ओवैसी का तर्क है कि इससे भारतीय लोकतंत्र की प्रतिनिधित्व क्षमता पर सवाल उठते हैं, क्योंकि उनका मानना है कि अगर किसी विशेष समाज को (मुस्लिम समाज को) कोई प्रतिनिधित्व नहीं मिल रहा है, तो जिम्मेदार लोगों को इसपर सोचने की जरूरत है.
ओवैसी ने कहा, “महाराष्ट्र में ओबीसी समाज के उम्मीदवार चुनाव जीतकर सांसद बने. हालांकि, राज्य में कोई भी मुस्लिम उम्मीदवार नहीं जीता. हम दावा करते हैं कि भारतीय लोकतंत्र लोकतंत्र का प्रतिनिधि स्वरूप है. अगर किसी खास समाज (मुस्लिम) का कोई उम्मीदवार चुनाव नहीं जीत पाया है, तो जिम्मेदार लोगों को इस बारे में सोचना होगा.”
‘वोट देने के बावजूद मुस्लिम चुनाव नहीं जीत रहे हैं’
असद ओवैसी ने यह भी बताया कि पहली बार संसद में उच्च जाति और ओबीसी सांसदों का प्रतिनिधित्व बराबर है, लेकिन अन्य उम्मीदवारों को वोट देने के बावजूद मुस्लिम चुनाव नहीं जीत रहे हैं. उन्होंने कहा कि यह सवाल सभी राजनीतिक दलों से है और खासकर मुसलमानों को इस सवाल पर सोचना है.
उन्हेंने कहा, ” पहली बार संसद में उच्च जाति और ओबीसी सांसदों का प्रतिनिधित्व बराबर है… जब मुसलमान सभी को वोट दे रहे हैं तो हमारे उम्मीदवार चुनाव क्यों नहीं जीत रहे हैं?…” महाराष्ट्र के छत्रपति संभाजीनगर (पहले ओरंगाबाद) में पार्टी ने इम्तियाज जलील को उम्मीदवार बनाया था लेकिन वह शिवसेना के संदीपनराव भूमरे से 134,650 वोटों से हार गए.
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