पटना (Patna)। केंद्र सरकार (Central Government) से बिहार (Bihar) को चालू वित्तीय वर्ष (current financial year) में 30 हजार करोड़ रुपये (Rs 30 thousand crore) की अतिरिक्त वित्तीय सहायता (Additional financial assistance) चाहिए। बिहार को केंद्र सरकार (Central Government) द्वारा 23 जुलाई को पेश किए जाने वाले केंद्रीय बजट में इसके लिए विशेष प्रावधान किए जाने की उम्मीद है। राज्य सरकार ने दीर्घकालिक विकास के उद्देश्यों से यह राशि विभिन्न परियोजनाओं के वित्त-पोषण के लिए मांगी है। चालू वित्तीय वर्ष के लिए पेश किए जाने वाले केंद्रीय बजट के पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ चर्चा के दौरान बिहार की ओर से अपनी उम्मीदों एवं अपेक्षाओं की जानकारी केंद्र सरकार को दी जा चुकी है।
वित्त विभाग के आधिकारिक सूत्रों के अनुसार बिहार को केंद्र सरकार से कई अपेक्षाएं हैं। इनमें कुछ नई मांगें हैं तो कुछ पुरानी। इनसे संबंधित प्रारंभिक तौर पर 30 हजार करोड़ की अतिरिक्त आर्थिक सहायता पूंजीगत व्यय के उद्देश्य से मांगी जा रही है। इस राशि को हाल ही में जनहित में हुई घोषणाओं को लागू करने और वैसी परियोजनाओं जिन पर अभी काम चल रहा है, दोनों पर खर्च किया जाना है। इनमें से अधिसंख्य परियोजनाएं दीर्घकालिक विकास के उद्देश्य वाली हैं।
बिहार के उपमुख्यमंत्री सह वित्त मंत्री सम्राट चौधरी ने केंद्रीय वित्त मंत्री के समक्ष स्पष्ट किया था कि यह अपेक्षा मात्र नहीं, बल्कि बिहार की आवश्यकता है। तेज गति से विकास कर रहे बिहार को विकसित राज्यों के समकक्ष लाने के लिए अतिरिक्त आर्थिक सहायता चाहिए ही। उसके बगैर भविष्य की परियोजनाओं का क्रियान्वयन सहज नहीं रह जाएगा।
मालूम हो कि वित्तीय वर्ष 2022-23 में बिहार की विकास दर देश में सर्वाधिक (10.64 प्रतिशत) थी। वित्तीय अनुशासन और कुशल प्रबंधन के कारण कम संसाधन होते हुए भी बिहार ने विकास की उच्च दर को प्राप्त किया है। यह क्रम आगे भी निर्बाध रूप से जारी रहे, इसके लिए पुरानी परियोजनाओं को आगे बढ़ाने के साथ नई परियोजनाओं पर काम शुरू करना होगा। यह सुदृढ़ राजकोष के आधार पर ऐसा किया जाना संभव हो सकेगा। केंद्र की सहायता मिलने पर सड़क, स्वास्थ्य, शिक्षा एवं अन्य क्षेत्रों में आधारभूत संरचनाओं का विकास तेजी से होगा।
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