नई दिल्ली. फ्रांस (French) के संसदीय चुनाव (parliamentary elections) में भारी उलटफेर होता दिख रहा है. संसदीय चुनाव के पहले अनुमानित परिणामों की घोषणा के बाद रविवार शाम (7 जुलाई) को पेरिस (paris) में जमकर बवाल मचा और पुलिस के साथ प्रदर्शनकारियों की झड़प हुई. एग्जिट पोल (exit poll) में अप्रत्याशित रूप से वामपंथी गठबंधन को सबसे अधिक सीटें मिली हैं जबकि राष्ट्रपति मैक्रों की पार्टी दूसरे नंबर पर है.
फ्रांस में भड़की हिंसा, संसदीय चुनाव है वजह
इस बीच, गठबंधन की बढ़त का संकेत देने वाले एग्जिट पोल के बाद फ्रांस की सड़कों पर हिंसा भड़क उठी है. कुछ ऐसे वीडियो सामने आए हैं जिनमें नकाबपोश प्रदर्शनकारियों को सड़कों पर उत्पात मचाते, नारेबाजी करते और फ्रांस के कुछ हिस्सों में आग लगाते हुए देखा जा सकता है. डेली मेल की रिपोर्ट के अनुसार, अधिकारियों ने राजनीतिक तनाव बढ़ने की आशंका के चलते पूरे देश में 30,000 दंगा विरोधी पुलिस तैनात कर दी है.
यह राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों की पार्टी के लिए भी एक झटका है. चुनाव संसद को तीन बड़े समूहों में विभाजित कर देगा – वामपंथी, मध्यमार्गी और चरम दक्षिणपंथी. यहां अभी तक मिलकर सरकार चलाने की कोई परंपरा नहीं है.
आगे क्या होगा
वामपंथी न्यू पॉपुलर फ्रंट (NFP) गठबंधन सरकार बनाने की दिशा में सबसे आगे दिख रहा है. एनएफपी गठबंधन ईंधन और खाद्य पदार्थ जैसी आवश्यक वस्तुओं की कीमतों पर कैपिंग चाहता है, वह न्यूनतम वेतन को बढ़ाकर 1,600 यूरो ($1,732) प्रति माह करना चाहता है. इसके अलावा एनएफपी सार्वजनिक क्षेत्र के कर्मचारियों के वेतन में वृद्धि करना चाहता है और साथ ही वेल्थ टैक्स (संपत्ति कर) भी लगाना चाहता है.
कट्टर वामपंथी नेता जीन-ल्यूक मेलेंचन ने कहा, ‘लोगों की पूरी तरह से सम्मान किया जाना चाहिए … राष्ट्रपति को न्यू पॉपुलर फ्रंट को शासन करने के लिए आमंत्रित करना चाहिए.” ली पेन की आरएन ने नस्लवाद और यहूदी विरोधी भावना को खत्म करने को मुद्दा बनाया था, लेकिन फ्रांसीसी समाज में कई लोग अभी भी इस पार्टी के फ्रांस-प्रथम रुख और बढ़ती लोकप्रियता को चिंता के साथ देखते हैं.
एग्जिट पोल और चुनाव परिणामों की घोषणा से पहले पेरिस में वामपंथियों ने जमकर जश्न मनाया और नारेबाजे करते हुए गले लगकर एक-दूसरे को बधाई दी. वामपंथी समर्थक ड्रम बजा रहे थे और नारे लगा रहे थे “हम जीत गए! हम जीत गए!”
मतगणना जारी
यहां वामपंथ का भी अजब गठबंधन हुआ है जिसे हार्डकोर लेफ्ट, ग्रीन्स और सोशलिस्ट ने चुनाव से पहले जल्दबाजी में तैयार किया था. 577 सीटों वाली संसद (असेंबली नेशियोलेन) में बहुमत का आंकड़ा 289 का है और अभी तक किसी दल या गठबंधन को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला है. मतगणना जारी है और आधिकारिक परिणाम धीरे-धीरे आ रहे थे और आज दोपहर तक स्थिति साफ होने की संभावना है.
मतदान एजेंसियां जिनकी भविष्यवाणी आम तौर पर सटीक होती है, ने कहा है कि वामपंथियों को 184-198 सीटें मिलेंगी, मैक्रोन के मध्यमार्गी गठबंधन को 160-169 और आरएन और उसके सहयोगियों को 135-143 सीटें मिलेंगी.
मतदान अनुमानों की घोषणा के बाद रविवार को यूरो के मूल्य में गिरावट दर्ज की गई. विजडमट्री में मैक्रोइकॉनोमिक रिसर्च डायरेक्टर अनीका गुप्ता ने कहा, “हमें बाजार में थोड़ी राहत मिलनी चाहिए… क्योंकि हम दक्षिणपंथी पार्टी आरएन को बहुमत नहीं मिल रहा है. लेकिन इससे कम से कम 2025 के अंत तक राजनीतिक गतिरोध बने रहने की संभावना है.”
प्रधानमंत्री गेब्रियल अट्टल ने कहा कि वह सोमवार को अपना इस्तीफा सौंप देंगे, लेकिन जब तक जरूरत होगी, तब तक वे कार्यवाहक के रूप में कार्य करते रहेंगे.
सरकार बनाने में बहुत अड़चनें
एक महत्वपूर्ण सवाल यह है कि क्या वामपंथी गठबंधन एकजुट रहेगा और इस बात पर सहमत होगा कि क्या रास्ता अपनाया जाए. कट्टर वामपंथी फ्रांस अनबोएड (LFI) के नेता मेलेंचन ने विभिन्न विचारधाराओं वाली पार्टियों के व्यापक गठबंधन की संभावना को खारिज कर दिया. सोशलिस्ट पार्टी के राफेल ग्लक्समैन ने अपने गठबंधन सहयोगियों से “बड़े लोगों” की तरह काम करने का आग्रह किया है. उन्होंने कहा, “हम आगे हैं, लेकिन हम एक बंटी हुई संसद में हैं. हमें बातचीत करनी होगी, चर्चा करनी होगी, संवाद करना होगा.”
संविधान मैक्रों को वामपंथी समूह को सरकार बनाने का आमंत्रण देने के लिए बाध्य नहीं है. लेकिन लेफ्ट सबसे बड़ा समूह है तो जाहिर है कि उसे सरकार बनाने का मौका मिल सकता है. मैक्रों के एक करीबी ने रॉयटर्स को बताया, “आज रात और आने वाले दिनों में हमें खुद से यह सवाल पूछना होगा: कौन सा गठबंधन शासन करने के लिए 289 सीटों तक पहुंचने में सक्षम है?”
पूर्व प्रधानमंत्री एडवर्ड फिलिप सहित उनके गठबंधन के कुछ लोगों ने एक व्यापक अंतर-दलीय गठबंधन की परिकल्पना की थी, लेकिन कहा कि इसमें अति-वामपंथी विचारधारा वाले फ्रांस अनबोड को शामिल नहीं किया गया है.
आरएन को झटका
दक्षिणपंथी नेशनल रैली (RN) के लिए ये परिणाम किसी झटके से कम नहीं हैं क्योंकि उन्हें जनमत सर्वेक्षणों में लगातार आगे दिखाया जा रहा था और कहा जा रहा था कि यह पार्टी आसानी से जीत जाएगी. पिछले हफ़्ते पहले दौर के मतदान के बाद वामपंथी और मध्यमार्गी गठबंधनों ने आरएन को रोकने के लिए अपने-अपने कई उम्मीदवारों को एक दूसरे के खिलाफ हटा दिया था और आरएन के सामने एक ही मजबूत उम्मीदवार को उतारा. आरएन नेता जॉर्डन बार्डेला ने आरएन विरोधी ताकतों के बीच सहयोग को एक “अपमानजनक गठबंधन” बताते हुए कहा कि यह गठबंधन फ्रांस को पंगु बना देगा.
ले पेन, जो 2027 के राष्ट्रपति चुनाव के लिए पार्टी की उम्मीदवार होंगी, ने कहा कि रविवार के मतदान में आरएन ने पिछले चुनावों की तुलना में बड़ी बढ़त हासिल की और भविष्य कि लिए जमीन तैयार कर दी है. उन्होंने कहा, ‘हमारी जीत में बस देरी हुई है. मतदाताओं ने मैक्रों और उनके सत्तारूढ़ गठबंधन को महंगाई और विफल सार्वजनिक सेवाओं के साथ-साथ आव्रजन और सुरक्षा के लिए दंडित किया है.’
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