लखनऊ (Lucknow) । उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) की 10 विधानसभा सीटों (Assembly seats) पर होने वाला उपचुनाव (By-elections) लोकसभा चुनाव में साझेदार रहे सपा और कांग्रेस (SP and Congress) के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर बन गया है। दोनों दल इस तैयारी में हैं कि इस उपचुनाव से उनकी दोस्ती ऐसे परवान चढ़े कि उसका संदेश 2027 के विधानसभा चुनाव तक बना रहे।
उपचुनाव से गठबंधन की गांठें और मजबूत होने की संभावना देखकर सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा में पूरी सावधानी बरती जाएगी। सीटों का सही बंटवारा कर प्रदेश में जिले स्तर पर दोनों दलों के बीच बेहतर तालमेल स्थापित करने की कवायद भी चल रही है। एक दूसरे का विश्वास हासिल करने के लिए दोनों दल लोकसभा चुनाव में गठबंधन के प्रत्याशियों का विरोध करने वाले नेताओं को भी चिह्नित कर रहे हैं।
कांग्रेस तो ऐसे अपने कुछ नेताओं को चिह्नित कर उन्हें बाहर का रास्ता भी दिखा चुकी है। कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव में अपने प्रदर्शन से संगठनात्मक स्तर सामने आई कमियों को भी चिह्नित किया है। इन कमियों से पार पाने के लिए अब हर जिले में जिला, तहसील, ब्लॉक व बूथ स्तर पर संगठन का ढांचा खड़ा करने पर जोर दिया जा रहा है।
कांग्रेस ने विपक्षी दल के रूप में अपनी भूमिका को लगातार धार देते रहने और केंद्र व प्रदेश सरकार के खिलाफ सड़कों पर संघर्ष करते रहने की योजना भी तैयार की है। फिलहाल, वह युवाओं से जुड़े मुद्दे को हवा दे रही है। नीट-यूजी परीक्षा निरस्त करने की मांग को लेकर पार्टी संघर्ष कर रही है। इस मांग को लेकर युवा कांग्रेस को आंदोलन की कमान सौंपी गई है। युवा कांग्रेस लखनऊ में इस मुद्दे पर प्रदर्शन कर चुकी है। इसी तरह महिला कांग्रेस को महिला मुद्दों पर और अनुसूचित जाति, पिछड़ा वर्ग व अल्पसंख्यक विभाग को उनसे संबंधित वर्गों के बीच लगातार संवाद जारी रखने की जिम्मेदारी दी गई है।
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