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    ईरान : मसूद पेजेश्कियान के राष्ट्रपति बनने के बाद भारत के साथ रिश्तों पर क्या होगा असर?

  • July 06, 2024

    तेहरान: इब्राहिम रईसी (Ebrahim Raisi) की हेलिकॉप्‍टर हादसे में मौत के बाद ईरान (Iran) को नया राष्‍ट्रपति मिल गया है। ईरान में राष्ट्रपति (President) पद के लिए हुए चुनाव में सुधारवादी नेता मसूद पेजेश्कियान (Masoud Pezeshkian) ने रूढ़िवादी सईद जलीली (Saeed Jalili) को हरा दिया है। मसूद अकेले सुधारवादी उम्मीदवार थे, जिनको चुनाव लड़ने की इजाजत दी गई थी। हार्ट सर्जन से राजनीति में आए अनुभवी सांसद और पूर्व स्वास्थ्य मंत्री मसूद पेजेश्कियान ने आश्चर्यजनक रूप से विरोधियों को पीछे छोड़ते हुए जीत दर्ज की है। मसूद को ईरान के लॉ प्रोफोइल और चमक-दमक से दूर रहने वाले राजनेताओं में गिना जाता है। मसूद 2008 से उत्तर-पश्चिमी शहर ताब्रीज से सांसद हैं। पेजेश्कियान ने मोहम्मद खातमी की सरकार में 2001 से 2005 तक स्वास्थ्य मंत्री का पद संभाला था।



    राजनीति में आने से पहले हार्ट स्पेशलिस्ट के तौर पर मसूद ने पहले उत्तरी ईरान की बड़ी मेडिकल संस्था ताब्रीज यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिकल साइंसेज में भी काम कर चुके हैं। राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ने की मसूद ने 2013 और 2021 में भी कोशिश की थी। 2013 में वह आखिर वक्त में दौड़ से हट गए थे और 2021 में उनकी उम्मीदवारी को देश की शीर्ष जांच संस्था गार्जियन काउंसिल ने खारिज कर दिया था। इस चुनाव में मसूद एकमात्र सुधारवादी उम्मीदवार के तौर पर लड़ रहे थे। उनको देश के अग्रणी सुधारवादी गठबंधन ने भी अपना समर्थन दिया था। उनके अभियान को खासतौर से टेलीविजन पर हुई बहसों से ताकत मिली, जिनमें उन्होंने घरेलू और विदेश नीति पर जोरदार तरीके से अपनी बात रखी। मसूद ने पश्चिम सहित दुनिया के साथ राजनयिक जुड़ाव पर जोर दिया और अनिवार्य हिजाब सहित महिला-केंद्रित मुद्दों के बारे में भी मुखरता से बात रखी। वह अनिवार्य हिजाब के खिलाफ रहे हैं। 2022 में महसा अमिनी की मौत के बाद मसूद ने लिखा था, ‘इस्लामिक गणराज्य में किसी लड़की को उसके हिजाब के लिए गिरफ्तार करना और फिर उसका शव उसके परिवार को सौंपना अस्वीकार्य है।’

    ईरान-भारत के रिश्तों पर क्या होगा असर
    ईरान के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति मसूद पेजेश्कियन के प्रमुख वादों में व्यावहारिक विदेश नीति को बढ़ावा देने, 2015 के परमाणु समझौते को पुनर्जीवित करने के लिए प्रमुख शक्तियों के साथ रुकी हुई बातचीत पर तनाव कम करने और सामाजिक उदारीकरण और राजनीतिक बहुलवाद की संभावनाओं में सुधार करने का वादा किया है। माना जा रहा है कि वह ईरान के साथ तेजी से बढ़ते परमाणु कार्यक्रम को लेकर तनावपूर्ण गतिरोध से शांतिपूर्ण तरीके से बाहर निकल सकते हैं।

    69 साल के मसूद के चुनाव जीतने के बाद ये भी सवाल है कि क्या उनके आने से ईरान और भारत के रिश्तों में भी क्या कोई बदलाव देखने को मिल सकता है। इस पर भारत में ईरान के राजदूत इराज इलाही ने कहा है कि भारत और ईरान के रिश्ते मजबूत हैं और आगे इनको और भी बेहतर किया जाएगा। इलाही ने कहा कि किसी भी के राष्ट्रपति बनने से भारत के साथ ईरान की विदेश नीति में कोई बदलाव नहीं होगा।

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