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    धीरेंद्र शास्त्री V/s पंडोखर महाराज; जानें नए कानून के तहत MP हाईकोर्ट का आदेश

  • July 06, 2024

    जबलपुर. देश (India) में 1 जुलाई से लागू हुए तीन नए कानून के बाद मध्यप्रदेश (MP) की जबलपुर हाईकोर्ट (High Court) में नागरिक सुरक्षा संहिता से जुड़ा पहला फैसला सामने आया है. जहां हाईकोर्ट ने शिकायत पर नए कानून के तहत पुलिस (Police) को कार्रवाई के निर्देश दिए हैं. जहां कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहां पुलिस समय सीमा में जांच करें. यदि मामले में एफआईआर (FIR) नहीं बनती है. तो पुलिस याचिकाकर्ता को इसकी लिखित कॉपी भी दे और कॉपी में यह भी बताया जाए कि मामला नहीं बनता, तो क्यों नहीं बनता. ताकि इसके आधार पर आगे की कार्रवाई याचिकाकर्ता कर सके. दरअसल, यह याचिका कथा वाचक पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री (Dhirendra Shastri) पर आपत्तिजनक टिप्पणी करने से जुड़ी हुई थी.


    जहां नरसिंहपुर निवासी अमिश तिवारी की ओर से हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी. जिसमें कहा गया कि उनके आराध्य और गुरु पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री सहित अन्य धर्म गुरुओं पर गुरुशरण शर्मा उर्फ पंडोखर महाराज द्वारा लगातार आपत्तिजनक बयान दिए जा रहे हैं और अनादर पूर्वक संबोधन किया जा रहा है. जिसका प्रचार प्रसार भी सोशल मीडिया पर जमकर किया जा रहा है. इस बयान बाजी से न केवल उनकी आस्था को ठेस पहुंची है. बल्कि उनके गुरु का अपमान भी किया जा रहा है. लिहाजा गुरुशरण शर्मा के खिलाफ कार्रवाई की जाए.

    नए कानून को लेकर दी गई दलील
    इस बात की शिकायत उन्होंने नरसिंहपुर के गोटेगांव थाने में भी की थी. लेकिन पुलिस ने उनकी शिकायत पर कोई भी कार्रवाई नहीं की. जिसके बाद शिकायतकर्ता ने एसपी को भी पत्र लिखा था. बावजूद इसके कोई भी कार्रवाई नहीं हुई. जिसके बाद शिकायतकर्ता कोर्ट की शरण में चले गए थे. याचिकाकर्ता गोटेगांव निवासी अमीश तिवारी की ओर से सीनियर एडवोकेट पंकज दुबे ने पक्ष रखा. उन्होंने दलील दी कि नए कानून नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 173 के तहत यह प्रावधान है की शिकायत के बाद 14 दिवस के अंदर पुलिस को जांच करनी होगी. यदि अपराध असंज्ञेय है, तो शिकायतकर्ता को इसकी सूचना देनी होगी.

    तर्क सुनने के बाद न्यायमूर्ति ने पुलिस को दिए निर्देश
    लिहाजा न्यायमूर्ति विशाल धगट की एकलपीठ ने याचिका में उठाए गए तर्को को सुनने के बाद पुलिस को निर्देश दिए कि जांच के बाद यदि संज्ञेय अपराध बनता है तो फिर एफआईआर दर्ज कर आगे की कार्रवाई करें. यदि संज्ञेय अपराध नहीं बनता तो उसकी जानकारी शिकायतकर्ता को दें. ताकि वह अगले फॉर्म की शरण में जा सके.

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