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    ब्रिटेन में ऋषि सुनक की सत्ता में वापसी मुश्किल! सुनक के खिलाफ हुए हिंदू, अन्य भारतवंशी भी नाराज

  • July 04, 2024

    नई दिल्ली: ब्रिटेन के पीएम ऋषि सुनक (UK PM Rishi Sunak) और उनकी कंजर्वेटिव पार्टी (Conservative Party) की ब्रिटेन की सत्ता में वापसी मुश्किल दिख रही है. इसका सबसे बड़ा कारण भारतवंशी और हिंदू (Indian and Hindu) माने जा रहे हैं. जो सुनक और उनकी पार्टी से लंबे समय से नाराज हैं. अब तक जितने भी ओपिनियन पोल आए हैं, उन सभी में सुनक की पार्टी को तगड़ा झटका लगा है, यहां लेबर पार्टी के कीर स्टार्मर (keir starmer) सत्ता पर काबिज होते नजर आ रहे हैं.

    यूनाइटेड किंगडम में वोट डाले जा रहे हैं. मतदान के बाद आज ही वहां वोटों की गिनती भी होगी. ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि ये चुनाव परिणाम सुनक को झटका देने वाला हो सकता है. दरअसल पिछले 14 साल से ब्रिटेन की सत्ता पर काबिज कंजर्वेटिव पार्टी और सुनक को इस बार हिंदू मतदाताओं के गुस्से का सामना करना पड़ा रहा है. खासकर भारतवंशी और हिंदू सीधे तौर पर सुनक के खिलाफ नजर आ रहे हैं. ऋषि सुनक को इस बात का अंदाजा भी था, तभी शायद 4 दिन पहले अचानक वह बीएपीएस के स्वामी नारायण मंदिर पहुंच गए थे.

    ब्रिटेन पीएम ऋषि सुनक के खिलाफ हिंदुओं की नाराजगी का सबसे बड़ा कारण भारतीय पुजारी हैं. दरअसल ब्रिटेन की सरकार पिछले कुछ समय से भारतीय पुजारियों को वीजा जारी नहीं कर रही है. ब्रिटेन में इसका खासा प्रभाव देखने को मिल रहा है. अब तक वहां 50 से ज्यादा मंदिर बंद भी हो चुके हैं. अन्य मंदिरों में भी कई काम बंद करा दिए गए हैं. बर्मिंघम में लक्ष्मीनारायण मंदिर के सहायक पुजारी सुनील शर्मा ने एक साक्षात्कार में कहा था कि उन्हें ऐसी उम्मीद थी कि भारतवंशी होने के नाते सुनक सरकार वीजा जारी करने की प्रक्रिया तेज करेगी. पीएम हमारी समस्याओं को समझेंगे. ऐसा हो नहीं सका.


    यदि हिंदू आबादी की बात करें तो ब्रिटेन में तकरीबन 20 लाख हिंदू आबादी रहती है. इनके गृह प्रवेश और विवाह समारोह के लिए भारतीय पुजारी की ही जरूरत होती है. भारतीय पुजारियों को वीजा न मिलने की वजह से वहां गिनती के पुजारी रह गए हैं, जिनसे बमुश्किल काम चलाया जा रहा है. दरअसल ब्रिटेन की ओर से भारतीय पुजारियों को जो वीजा जारी किया जाता है वह अस्थायी होता है. वह खत्म होने से 6 माह पहले से ही पुजारी दोबारा वीजा के लिए आवेदन कर देते हैं, लेकिन कई मायनों में क्लीयरेंस नहीं मिलती है. अभी जो टाइप-5 वीजा पुजारियों को दिया जा रहा है, उसकी अवधि 2 साल तक के लिए होती है.

    सुनक ने ब्रिटेन की सत्ता 2022 में संभाली थी. वह वक्त उनके लिए चुनौतीपूर्ण था. हालांकि जब उन्हें पीएम बनाए जाने का ऐलान हुआ था तो भारतवंशियों ने जश्न मनाया था. उन्हें उम्मीद थी कि उनके पीएम बनने के बाद वहां रह रहे भारतवंशियों के हालात में सुधार होगा, लेकिन ऐसा हुआ नहीं. यूके में टेक्नोलॉजी इन्वेस्टर अश्विन कृष्णस्वामी ने पिछले दिनों दिए एक इंटरव्यू में कहा था सरकार ने भारतवंशियों को लेकर कोई बड़ा फैसला नहीं लिया और न ही किसी समस्या का समाधान किया गया है.

    ब्रिटेन की राजनीति में हिंदुओं की पकड़ कितनी है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 28 जून को ब्रिटेन में विपक्षी लेबर पार्टी के नेता कीर स्टार्मर लंदन के स्वामी नारायण मंदिर में पूजा करने पहुंच गए थे. यहां से निकलने के बाद उन्होंने कहा था कि मंदिर करुणा के प्रतीक होते हैं. ठीक इसके दो दिन बाद ऋषि सुनक और उनकी पत्नी अक्षता मूर्ति भी स्वामी नारायण मंदिर पहुंचे थे और वहां उन्होंने कहा था कि उन्हें हिंदू होने पर गर्व है. माना जा रहा है कि सुनक का अचानक मंदिर जाना एक कोशिश थी, कि कैसे भी हिंदू वोटरों को वापस अपने पक्ष में लाया जाए. हालांकि वह अपनी इस कोशिश में कामयाब होते नहीं दिख रहे.

    लेबर और कंजर्वेटिव पार्टी के दोनों नेता जनता को एक दूसरे के बारे में आगाह करते रहे. सुनक ने वोटरों से कहा कि वह देश की सत्ता लेबर पार्टी को न सौंपे. हालांकि अभी तक के रुझान से ऐसा लग नहीं रहा कि वह अपनी इस अपील में कामयाब हुए हैं. बता दें कि यूके यानी इंग्लैंड, स्कॉटलैंड, वेल्स और उत्तरी आयरलैंड में 650 निर्वाचन क्षेत्र हैं. यहां सरकार बनाने यानी बहुमत के लिए 326 सीटों की आवश्यकता है. लेबर और कंजर्वेटिव पार्टी के अलावा यहां लिबरल डेमोक्रेट, ग्रीन पार्टी, स्कॉटिश नेशनल पार्टी (एसएनपी), एसडीएलपी, डेमोक्रेटिक यूनियनिस्ट पार्टी (डीयूपी), सिन फ़िएन, प्लेड सिमरू तथा कई निर्दलीय नेता भी चुनाव लड़ रहे हैं.

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