नई दिल्ली(New Delhi) । संसद की कार्यवाही(proceedings of parliament) चल रही थी। इसी दौरान लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला (Lok Sabha speaker Om Birla)ने सदन में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी(Leader of the Opposition Rahul Gandhi) का नाम लिया और उन्हें फटकार लगाई। उन पर आरोप लगाया कि उन्होंने विपक्षी सदस्यों को सदन के वेल में आकर विरोध करने के लिए उकसाया। उस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संसद के संयुक्त सत्र में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर अपना जवाब दे रहे थे।
ओम बिरला ने कहा, “विपक्ष के नेता के रूप में यह आपके लिए अनुचित है। मैंने आपको सदस्यों को वेल में आने के लिए कहते हुए देखा है। आपका ऐसा व्यवहार अनुचित है।”
आपको बता दें कि विपक्षी सांसदों में से ज्यादातर कांग्रेस के थे। उन्होंने वेल के दोनों ओर से विरोध करना शुरू कर दिया और पीएम के दो घंटे से अधिक समय तक चले भाषण के दौरान विरोध करना जारी रखा। जैसे ही मोदी बोलने के लिए उठे तो विपक्षी सांसदों ने लगातार नारेबाजी की। अध्यक्ष से मणिपुर के एक सांसद को बोलने की अनुमति देने का आग्रह किया। जैसे ही ओम बिरला ने कहा कि उनमें से एक को पहले ही बोलने का मौका दिया जा चुका है, तो कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई मणिपुर के दो सांसदों के साथ वेल में आ गए।
इस घटना के बाद कांग्रेस के कई सांसद वेल में आ गए। टीएमसी सांसद गलियारे में खड़े होकर अपना समर्थन जता रहे थे। हालांकि, पीएम मोदी ने कांग्रेस सांसदों द्वारा लगातार किए जा रहे हंगामे का सामना किया।
वेल में घुसकर सत्ता पक्ष की ओर से विरोध करना शिष्टाचार और संसदीय मानदंडों का गंभीर उल्लंघन माना गया। सांसद प्रधानमंत्री के ठीक सामने नारेबाजी कर रहे थे। सत्ता पक्ष की पूरी बेंच चुप रही और एक बार भी विरोध करने वाले सांसदों से भिड़ने की कोशिश नहीं की। प्रधानमंत्री ने पूरी ताकत से अपना जवाब दिया। उन्होंने स्पीकर से आग्रह किया कि उन्हें विपक्ष के व्यवहार को हल्के में नहीं लेना चाहिए और यह भी देखना चाहिए कि अगले पांच सालों में सदन कैसे चलेगा।
लोकसभा ने पीएम मोदी के संबोधन के दौरान विपक्ष के व्यवधान की निंदा करते हुए एक प्रस्ताव पारित किया। केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि इन हरकतों ने संसदीय मानदंडों और शिष्टाचार को ध्वस्त किया है। राजनाथ सिंह ने कहा, “मैं प्रस्ताव करता हूं कि सदन इस कार्रवाई की निंदा करे।”
ओम बिरला ने कहा, “मैंने सभी सदस्यों को पर्याप्त समय दिया। मैंने विपक्ष के नेता को 90 मिनट से अधिक समय दिया, लेकिन यह व्यवहार संसदीय मानदंडों के अनुरूप नहीं है।” गृह मंत्री अमित शाह ने प्रस्ताव का समर्थन किया और इसे ध्वनिमत से पारित कर दिया गया।
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