नई दिल्ली: ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन के मुखिया और हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने मंगलवार (2 जुलाई) को लोकसभा में कहा कि मुस्लिम नौजवानों की मॉब लिंचिंग हो रही है. मैं उस पर बात करना चाहता हूं. उन्होंने कहा कि देश में बेरोजगारी का आलम ये है कि युवाओं को रूस में जाकर जान देनी पड़ रही है. ओवैसी ने सरकार से पूछा कि फिलिस्तीन को लेकर हमारी क्या पॉलिसी है. उन्होंने इस दौरान राम मंदिर का भी जिक्र किया.
असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि मैं आज उन लोगों की तरफ से बात कर रहा हूं, जो दिखते तो हैं, लेकिन उनके बारे में कोई बात नहीं करता है. उनकी कोई सुनता भी नहीं है. मैं उनके बारे में बात कर रहा हूं, जिन्हें लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि वे घुसपैठिए हैं. मैं उन बेटियों और मांओं के बारे में कह रहा हूं, जिन्हें लेकर कहा गया कि वे ज्यादा बच्चे पैदा करती हैं. मैं उन नौजवानों के बारे में बात कर रहा हूं, जिनको मॉब लिंचिंग कर मारा जा रहा है. मैं उन मां-बाप की बात कर रहा हूं, इस हुकूमत के कानून से जिनके बच्चे जेलों में सड़ रहे हैं.
हैदराबाद सांसद ने मुस्लिमों का जिक्र करते हुए एक शायरी सुनाई. उन्होंने कहा, “उसूल बेच के मसनद खरीदने वालों, निगाह-ए-अहले-वफ़ा में बहुत हक़ीर हो तुम. वतन का पास तुम्हें था न हो सकेगा कभी, के अपनी हिर्स के बंदे हो बे जमीर हो तुम. इज्जत-ए-नफ़्स किसी शख्श की महफूज नहीं, अब तो अपने ही निगहबानों से डर लगता है. डंके की चोट पे जालिम को बुरा कहता हूं, मुझे सूली न जिंदानों से डर लगता है.”
ओवैसी ने कहा कि जब संविधान बन रहा था तो उस वक्त वोटर लिस्ट और धर्म के आधार पर रिजर्वेशन की बात आई. इस पर हमारे संविधान के संस्थापकों ने कहा था कि हम इसके लिए राजी नहीं होंगे. उन्होंने कहा था कि ये बहुसंख्यक आबादी की जिम्मेदारी है कि अल्पसंख्यक आबादी की प्रतिनिधित्व के आधार पर चुनी जाए. हैदराबाद सांसद ने कहा कि बीजेपी मुस्लिमों के नफरत के आधार पर जीतती है. मुस्लिमों के नाम पर सत्ता हासिल करने वाले भी उनके लिए संसद का दरवाजा नहीं खोलते हैं.
हैदराबाद सांसद ने कहा कि सिर्फ चार फीसदी सांसद ही मुस्लिम हैं. संविधान सिर्फ चूमने और दिखाने वाली किताब नहीं है. संविधान संस्थापकों ने लोकतंत्र को इस तरह की समझा कि देश को चलाने के लिए हर धर्म और समुदाय के लोगों को शामिल किया जाए. मगर सिर्फ चार फीसदी मुस्लिम सांसद जीत कर संसद आते हैं. उन्होंने राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए काह कि जो लोग संविधान से मोहब्बत की बात करते हैं, मैं उनसे कहूंगा कि वे एक बार संविधान सभा की बहस को पढ़ें और जानें की जवाहरलाल नेहरू और सरकार हुकुम सिंह ने अल्पसंख्यकों के बारे में क्या कहा था.
संसद में मुस्लिम सांसदों की कम संख्या को लेकर आगे बोलते हुए असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि ये समाजी इंसाफ है कि 14 फीसदी मुसलमानों में से सिर्फ चार मुसलमान जीतकर आते हैं? ओबीसी समाज के सांसद अब अगड़ों की बराबरी कर चुके हैं. उन्होंने कहा कि सीएसडीएस का सर्वे बताता है कि एकमुश्त वोट सिर्फ अगड़ी जाति के लोग डालते हैं. मुस्लिम का कभी वोटबैंक ना था और ना रहेगा.
हाल के दिनों में कई राज्यों में हुई मॉब लिंचिंग का मुद्दा भी सदन में गूंजा. ओवैसी ने कहा कि चार जून के बाद छह मुस्लिमों के साथ मॉब लिंचिंग हुई. मध्य प्रदेश में 11 मुस्लिम घरों को बुलडोजर से नेस्तनाबूद कर दिया गया. हिमाचल प्रदेश में एक मुस्लिम की दुकान को लूट लिया गया. इसे लेकर सभी पार्टियों की तरफ से सन्नाटा है. लगता है कि अब वक्त आ चुका है कि लब्ज-ए-मुसलमान पर भी पाबंदी लगा दी जाएगी. इस दौरान सदन में हंगामा शुरू हो गया.
केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री और बीजेपी नेता मनसुख मांडविया खड़े हुए और उन्होंने कहा कि ओवैसी ने जो कहा है, उसको प्रमाणित किया जाए. इस पर ओवैसी ने कहा कि मंत्री जी को पेट में दर्द हुआ. जो नरेंद्र मोदी को मैंडेट मिला है, वो सिर्फ और सिर्फ मुस्लिमों से नफरत पर मिला है. मैं विपक्ष को कहना चाहता हूं कि ये आपकी नैतिक जीत नहीं है, ये बहुसंख्यकवाद की जीत है. उन्होंने कहा कि क्या मुस्लिम सिर्फ वोट करने के लिए हैं, क्या वो चुने जाने के लिए नहीं हैं? अगर ऐसा है तो फिर उन्हें बताना चाहिए.
असदुद्दीन ओवैसी ने बेरोजगारी को लेकर भी बात की. उन्होंने कहा कि देश में बेरोजगारी की स्थिति ये है कि भारत के आधे नौजवान बेरोजगार हैं. बेरोजगारी के चलते लोग रूस में जाकर वहां अपनी जान दे रहे हैं. पिछले पांच साल में 75 लाख अभ्यार्थियों की जिंदगी बर्बाद हुई है, क्योंकि छह पेपर लीक हुए हैं. बेरोजगारी का आलम ये है कि मोदी सरकार युवाओं को इजरायल में जाकर जान देने के लिए रोजगार कैंप चला रही है.
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