नई दिल्ली (New Delhi)। जुलाई में पेश होने वाले आम बजट(general budget) से काफी उम्मीदें की जा रही हैं। माना जा रहा है कि सरकार(Government) कुछ बड़े फैसले(Big decisions) ले सकती है। सरकार 10 लाख से ऊपर की सालाना आय(Annual Income) वाले लोगों के लिए भी टैक्स रिजीम में बदलाव पर विचार कर रही है, जिसकी मांग नौकरीपेशा वर्ग से जुड़े लोगों की तरफ से लगातार की जा रही है। वैसे भी इस बार प्रबल संभावना है कि आम बजट नौकरीपेशा, युवा, महिला, निम्न और मध्य आय वर्ग के लोगों पर केंद्रित होगा।
आयकर स्लैब में बदलाव करने की भी मांग: बीते दो हफ्तों के दौरान केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की विभिन्न क्षेत्रों से आने वाले विशेषज्ञों और प्रमुख औद्योगिक संगठनों के लोगों की बैठकें हुई हैं। आने वाले दिनों में कुछ और संगठनों के साथ वित्त मंत्री की बैठक होनी है। अभी तक जहां कृषि, सेवा, ग्रीन एनर्जी, ऊर्जा, उत्पादन और औद्योगिक क्षेत्रों से जुड़ी जरूरतों को लोगों ने प्रमुखता से उठाते हुए करों में राहत देने की मांग की है।
वहीं नौकरीपेशा लोगों के लिए आयकर स्लैब में बदलाव करने की भी मांग रखी है। इसके पीछे तर्क दिया गया है कि नौकरीपेशा लोगों पर आयकर बोझ काफी ज्यादा है। अगर पुरानी व्यवस्था (ओल्ड रिजीम) से देखा जाए तो 10 लाख से ऊपर की सालाना आय पर 30 प्रतिशत आयकर देना होता है।
नई व्यवस्था (New Tax Regime) से सात लाख से ऊपर की आय पर आयकर देना होता है, लेकिन यहां पर अगर सात लाख से ऊपर की सालाना आय है तो फिर छह से नौ लाख पर 10 प्रतिशत और नौ से 12 लाख तक की सालाना आय पर 15 प्रतिशत आयकर भरना होता है जो मौजूदा समय में व्यवहारिक नहीं है। क्योंकि महंगाई के साथ लोगों के खर्च भी बढ़े हैं, जिस कारण से लोगों की बचत प्रभावित हुई है। इसलिए 10 लाख से ऊपर की आय वाले लोगों आयकर में छूट चाहते हैं।
घटाकर 25 फीसदी करने की मांग
सीए अमन अंसारी कहते हैं कि अगर मौजूदा समय में महंगाई और खर्चों को देखा जाए तो आयकर की दरों में बड़े बदलाव की जरूरत है। सरकार चाहती है कि लोग नई व्यवस्था से रिटर्न दाखिल करें, लेकिन उसे बारीकी से देखें तो उसमें ज्यादा कर अदा करना होता है, जो फायदेमंद नहीं हैं।
सरकार के पास इस बार अच्छा मौका है। लगातार कर संग्रह बढ़ रहा है और आयकर रिटर्न दाखिल करने वाले भी बढ़ रहे हैं। इसलिए सभी को उम्मीद है कि 10 लाख से ऊपर की सालाना पर कर को 30 से घटाकर 25 फीसदी किया जाए। पुरानी व्यवस्था में रिटर्न भरते हैं तो 20 प्रतिशत के बाद सीधे 30 प्रतिशत टैक्स का स्लैब है, जो व्यवहारिक नहीं है।
सरकार बाकी क्षेत्रों में दे चुकी है कर कटौती का लाभ
बताया जा रहा है कि कुछ विशेषज्ञों ने यह भी तर्क रखा कि सरकार करों के मामलों में बाकी क्षेत्रों में लाभ देती आ रही है लेकिन व्यक्तिगत श्रेणी आयकर भरने वाले निम्न और मध्य आयवर्ग को कोई बड़ी राहत नहीं मिली है, जिसकी वो लंबे समय से मांग कर रहे हैं। फरवरी में अंतरिम बजट में सरकार ने मौजूदा घरेलू कंपनियों के लिए कॉरपोरेट टैक्स की दर को 30 प्रतिशत से घटाकर 22 प्रतिशत कर दिया गया था। वहीं, कुछ विशेष नई विनिर्माण कंपनियों के लिए कॉरपोरेट टैक्स की दर को घटाकर 15 प्रतिशत कर दिया गया। इसलिए लोगों की मांग है कि आयकर में भी लोगों को राहत मिले।
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