जबलपुर: 2011 के बाद आंखें तरस गई थी कि भारतीय टीम के पास वर्ल्ड कप हो. बहरहाल शनिवार की रात वह घड़ी आ गई, जब भारत ने वर्ल्ड कप जीत कर विश्व में अपना तिरंगा झंडा लहरा दिया. जहां एक तरफ पूरा देश देर रात जश्न में डूबा रहा. वहीं जबलपुर में रात 3 तक जीत का जश्न मनता रहा. लगातार तिराहे और चौराहों में लग रही भीड़ और और रैली के चलते पुलिस को मोर्चा संभालना पड़ा. इंडिया की जीत के जश्न के बाद एक तरफ लोग आतिशबाजी कर जश्न मना रहे थे. तो वहीं दूसरी तरफ जबलपुर पुलिस भीड़ को संभाल रही थी. कहीं न कहीं यह दृश्य देखकर सभी हैरान थे कि शायद ऐसा पहला मौका था, जब जनता बेकाबू थी और पुलिस संस्कारधानी की खुशी देखकर कुछ नहीं कर पा रही थी. लिहाजा खुशी के आगे पुलिस को भी घुटने देखना पड़ा.
जबलपुर के बहुचर्चित मालवीय चौक में भारत की जीत के आधा घंटे पहले सन्नाटा पसर गया था. मैच को देखकर कहीं ना कहीं दुकानदारों को लगा अब हमारी उम्मीद में पानी फिर जाएगा. जिसके चलते दुकानदारों ने दुकान बंद कर दी. लेकिन आधे घंटे बाद. मालवीय चौक सहित कमानिया, फुहारा और गौरीघाट में जो हुआ शायद संस्कारधानी के इतिहास में पहली बार हुआ. जहां लोग देर रात अचानक घरों से बाहर निकलकर हजारों की संख्या में इकट्ठा हो गए. जिसमें युवा ही नहीं बुजुर्ग से लेकर महिलाएं तक शामिल थी. सभी के मुंह में सिर्फ यहीं शब्द था. लहरा दो, लहरा दो सरफशी का परचम लहरा दो….
जबलपुर शहर के मालवीय चौक, बड़ा फुहारा, कमानिया गेट, गौरीघाट में लोगों ने जमकर आतिशबाजी कर जश्न मनाया. जश्न को देखकर लग रहा था… कहीं न कहीं शहर में दिवाली मनाई जा रही है. वहीं कुछ लोग ऐसे भी थे, जो अपने साथ वर्ल्ड कप लेकर आ गए. तो कुछ घर में रखे स्पीकर लेकर चौराहे में पहुंच गए और अपने परिवार के साथ मिलकर इस जीत का जश्न मनाया.
लोगों कहना था मैच में तीन टर्निंग पॉइंट आए जहां विराट कोहली ने भारत को मजबूत स्थिति में पहुंचा तो वही हार्दिक पांड्या ने क्लासेन को आउट कर फिर से उम्मीद जगाई. बाकी काम बूम बूम बुमराह ने कर दिया. इसके बाद डेविड मिल लर जाते-जाते सूर्यकुमार यादव को वर्ल्ड कप थमा गए. लोगों को कहना था यह जीत ऐतिहासिक जीत हैं. हमने ऑस्ट्रेलिया के मुंह से जीत छीनकर लाई है… दुनिया के छक्के छुड़ा दे हम इंडिया वाले.
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