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लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी हार की फैक्ट फाइंडिंग के लिए आई दिल्ली की टीम

June 29, 2024

  • – सबकी निगाहें चह्वाण की मास्टर क्लास पर
  • – पटवारी का राजनीतिक भविष्य तय करने में अहम भूमिका निभाएगी समिति की रिपोर्ट
  • – पहले दिन लोकसभा चुनाव में पराजित 26 उम्मीदवारों से रूबरू होंगे पृथ्वीराज चव्हाण, जिग्नेश मेवाणी और सप्तगिरि उल्का
  • – वन टू वन चर्चा में होगी 10 से ज्यादा बिंदुओं पर चर्चा, उम्मीदवार भी पूरी तैयारी से पहुंचे
  • – रविवार को पार्टी के बड़े नेताओं से चर्चा करेंगे समिति के सदस्य, पटवारी समर्थकों ने भी की तैयारी

इंदौर। कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व द्वारा गठित तीन सदस्यीय फैक्ट फाइंडिंग कमेटी आज से भोपाल में मध्यप्रदेश में लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की करारी हार के कारण जानना शुरू करेगी। इस समिति की रिपोर्ट प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी का राजनीतिक भविष्य तय करने में अहम भूमिका अदा करेगी। पार्टी उम्मीदवारों और प्रदेश के दिग्गज नेता समिति के सामने दमदारी से अपनी बात रखने की तैयारी में हैं।

एक समय दिल्ली की सियासत में बड़ी भूमिका रखने वाले महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण, गुजरात के विधायक जिग्नेश मेवाणी और ओडिशा के कांग्रेस सांसद सत्यागिरि उल्का की यह तीन सदस्यीय समिति पहले दिन लोकसभा चुनाव में पराजित 26 उम्मीदवारों से रूबरू होगी। प्रदेश की इंदौर सीट पर कांग्रेस के उम्मीदवार द्वारा ऐनवक्त पर नामांकन वापस लेने और खजुराहो सीट इंडिया गठबंधन के सहयोगी दल के उम्मीदवार को देने के कारण 27 सीटों पर ही कांग्रेस के उम्मीदवार चुनाव लड़े थे। छिंदवाड़ा से पराजित नकुलनाथ ने अपने विदेश प्रवास का हवाला देते हुए समिति के समक्ष आने में असमर्थता जता दी है। चव्हाण की गिनती उन नेताओं में होती है, जो पार्टी द्वारा सौंपी गई हर जिम्मेदारी का निर्वहन बहुत ईमानदारी के साथ करते हैं। पहले भी वह कई बार ऐसी भूमिका अदा कर चुके हैं। यही कारण है कि केंद्रीय नेतृत्व ने मध्यप्रदेश में करारी हार की समीक्षा के लिए उन्हें भेजा है।


चव्हाण की मास्टर क्लास की शुरुआत शनिवार सुबह होगी और वह हर उम्मीदवार से सीधी बात करेंगे। इसमें भी 10 से ज्यादा बिंदुओं पर उनसे बात करेंगे और यह पता लगाने की कोशिश करेंगे कि आखिर वे चुनाव क्यों नहीं जीत पाए। सूत्रों के मुताबिक उम्मीदवारों ने चुनाव से जुड़े तमाम मुद्दों पर इस समिति के सामने अपना पक्ष रखने के लिए जोरदार तैयारी की है। केंद्रीय नेतृत्व से भेजी गई आर्थिक मदद अधूरी ही उम्मीदवारों तक पहुंचने, चुनाव में प्रदेश कांग्रेस से अपेक्षा के मुताबिक मदद न मिलने, प्रदेश अध्यक्ष और उम्मीदवारों के बीच चुनाव के दौरान संवादहीनता, व्यवस्थित रणनीति का अभाव जैसे तमाम मुद्दों पर उम्मीदवार अपनी बात रखेंगे।

लोकसभा चुनाव में बहुत कम अंतर से हारे फूलसिंह बरैया, नीटू सिकरवार और सिद्धार्थ कुशवाहा समिति के सामने चौंकाने वाले खुलासे कर सकते हैं। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजयसिंह और पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कांतिलाल भूरिया, जो राजगढ़ और झाबुआ से चुनाव लडक़र हारे हैं, के रुख पर भी सबकी नजर रहेगी। सूत्रों के मुताबिक प्रदेश के ज्यादातर उम्मीदवार पहले केंद्रीय नेतृत्व के सामने अपनी हार के कारण के बारे में विस्तार से जानकारी दे चुके हैं। उन्हीं से मिले फीडबैक के बाद केंद्रीय नेतृत्व ने चव्हाण की अगुआई में तीन सदस्यीय समिति मध्यप्रदेश भेजने का निर्णय लिया था। यदि समिति के सामने भी उम्मीदवारों का रुख प्रदेश नेतृत्व को लेकर नकारात्मक रहा तो प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की परेशानी बढ़ सकती है।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने भी चुनाव से जुड़े मुद्दों पर समिति के सामने अपना पक्ष रखने के लिए पूरी तैयारी की है। उनके खास सिपहसालार पिछले 3 दिन से इस काम में लगे थे। पॉलिटिकल अफेयर्स कमेटी में जो नेता पटवारी समर्थक माने जाते हैं उन्हें भी प्रदेश कांग्रेस का पक्ष मजबूती से रखने की जिम्मेदारी दी गई है। पटवारी समर्थकों का यह मानना है कि प्रदेश अध्यक्ष को बहुत कम समय मिला और जिस समय उन्होंने जिम्मेदारी संभाली तब विधानसभा चुनाव के नतीजों ने पार्टी कार्यकर्ताओं को बुरी तरह हतोत्साहित कर रखा था। तीन सदस्यीय समिति रविवार को प्रदेश कांग्रेस की पॉलिटिकल अफेयर्स कमेटी के सदस्यों से भी मिलेगी। इस समिति में ज्यादातर वरिष्ठ नेता शामिल हैं। यह नेता प्रदेश कांग्रेस के कामकाज पर उंगली उठाने के साथ ही प्रदेश अध्यक्ष को भी कठघरे में खड़ा करने की तैयारी में हैं।

इंदौर बनेगा बड़ा मुद्दा
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी के गृहनगर इंदौर में कांग्रेस के अधिकृत प्रत्याशी अक्षय कांति बम द्वारा ऐनवक्त पर नामांकन वापस लेने का मुद्दा भी समिति के सामने उठने वाला है। पार्टी के कुछ बड़े नेताओं ने इस मुद्दे की आड़ में पटवारी की घेराबंदी की तैयारी की है। इन नेताओं का कहना है कि बम को पटवारी की पसंद के चलते ही इंदौर से टिकट दिया गया था। ऐसा संभव ही नहीं है कि बिना पटवारी की जानकारी के वह मैदान से हटे हों। बम के मामले में पटवारी की चुप्पी ने भी सबको चौंका रखा है। मालवा-निमाड़ के कई उम्मीदवार यह पहले ही कह चुके हैं कि जो कुछ इंदौर में हुआ उसका असर एक दर्जन से ज्यादा सीटों पर पड़ा और वहां के उम्मीदवारों को काफी नुकसान उठाना पड़ा।

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