– डॉ. रमेश ठाकुर
राष्ट्रीय सांख्यिकी दिवस सालाना 29 जून को सांख्यिकी के क्षेत्र में प्रोफेसर पीसी महालनोबिस के अतुलनीय योगदान को ध्यान में रखकर उनके सम्मान में मनाया जाता है। ये विषय राष्ट्रीय सांख्यिकीय प्रणालियों में आमजनों द्वारा विश्वास करने, सरकार व निजी क्षेत्र का आधिकारिक डेटा को सुरक्षित करने, नवाचार और सार्वजनिक डेटाबेस प्रबंधन के महत्व को दर्शाता है। प्रो. महालनोबिस को भारतीय सांख्यिकी का जनक माना गया है। पहला राष्ट्रीय सांख्यिकी दिवस सन 2007 को मनाया गया था। पिछले वर्ष-2023 की थीम थी ‘सतत विकास लक्ष्यों की निगरानी के लिए राज्य संकेतक ढांचे को राष्ट्रीय संकेतक ढांचे के साथ संरेखित करना’। सरकारी स्तर पर सांख्यिकी दिवस समसामयिक राष्ट्रीय महत्व के विषय वस्तु पर मनाया जाता है।
राष्ट्रीय विकास में आधिकारिक सांख्यिकी के महत्व को उजागर करने के लिए ये दिवस प्रतिवर्ष मनाया जाता है। आज कई जगहों पर सेमिनार, चर्चाएं और प्रतियोगिताएं आयोजित की जाएंगे, जहां लोगों को सांख्यिकी के संबंध में जागरूक किया जाएगा। किसी भी प्रतिष्ठान या व्यावसायिक गतिविधियों की पारदर्शी कार्यशैली की नींव उसके सांख्यिकी या डाटा से पहचानी जाती है। नागरिक समाज, निजी क्षेत्र, परोपकारी निकायों, अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय एजेंसियों, भू-स्थानिक समुदाय, मीडिया जैसे तमाम पेशेवर निकायों की विश्वसनीयता उनकी सांख्यिकीय पर निर्भर करती हैं। डिजिटल डेटा और प्रौद्योगिकी प्रक्रियाओं में खपलेबाजी आधुनिक समय की बड़ी समस्याओं में गिनी जाने लगी है।
इस दिवस के महत्व की जहां तक बात है, तो रोजमर्रा की जिंदगी में सांख्यिकी के उपयोग को लोकप्रिय बनाना और देशवासियों को इस बाबत जागरूक करना की सांख्यिकी नीतियों को आकार देने और तैयार करने में कैसे मदद करती है। 29 जून को प्रोफेसर महालनोबिस की जयंती भी होती है जिनका सांख्यिकी और आर्थिक नियोजन के क्षेत्र में योगदान अमूल्य रहा है। महालनोबिस का जन्म 29 जून 1893 को कलकत्ता में एक धनी और शैक्षणिक रूप से उन्मुख बंगाली परिवार में हुआ था। उन्होंने भौतिकी में स्नातक की उपाधि प्राप्त की और बाद में उच्च शिक्षा के लिए लंदन चले गए थे। उन्होंने भौतिकी में अपना ट्रिपोस पूरा किया और मानव विज्ञान और मौसम विज्ञान में समस्याओं को हल करने में सांख्यिकी की प्रभावकारिता की खोज की थी। उनका निधन 28 जून 1972 को कलकत्ता में 78 वर्ष की आयु में हुआ था। सांख्यिकी दिवस पर सामाजिक-आर्थिक नियोजन में सांख्यिकी की भूमिका के बारे में जन जागरुकता बढ़ाना, विशेष रूप से युवा पीढ़ी के बीच रिपोर्ट, कार्यक्रम, कार्यान्वयन, निगरानी आदि सभी का प्रबंधन सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन की प्रस्तुति देना भी होता है।
सांख्यिकी दिवस-2024 की थीम है ‘निर्णय लेने के लिए डेटा का उपयोग’। केंद्रीय बजट में सांख्यिकी की सबसे बड़ी भूमिका होती है। बजट निमार्ण में केंद्र सरकार तमाम प्रख्यात सांख्यिकीविदों को् इसलिए शामिल करती हैं ताकि उनके अनुभव से डेटा एक विश्वसनीय प्रारूप तैयार किया जाए। जिसे वित्त मंत्री द्वारा संसद में प्रस्तुत किया जाता है। सांख्यिकी शब्द का दो प्रकार से प्रयोग होता है। बहुवचन के स्वरूप में यह परिमाणात्मक जानकारी या आंकड़ों को व्यक्त करता है। वहीं, एकवचन के स्वरूप में ये शब्द सांख्यिकीय विधियों का दूसरा नाम है। यहां इसका अर्थ आंकड़ों के संकलन, संगठन, प्रस्तुतीकरण, विश्लेषण और निर्वचन का शास्त्र या विज्ञान भी होता है। भारत में सांख्यिकी के वर्तमान अध्यक्ष प्रो. राजीव लक्ष्मण करंदीकर हैं, जिन्हें 30 नवंबर 2022 को तीन साल की अवधि के लिए केंद्र सरकार ने आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया है।
सांख्यिकी दिवस मनाने से सांख्यिकीविदों, सरकारी संगठनों, नीति निर्माताओं और अन्य एजेंसियों को वर्तमान डेटा-संचालित दुनिया में उच्च गुणवत्ता वाले डेटा और सांख्यिकी के मूल्यों को बढ़ावा देने का अवसर मिलता है। सांख्यिकी स्वास्थ्य सेवा, अर्थशास्त्र, शिक्षा, पर्यावरण और सामाजिक कल्याण जैसे क्षेत्रों में एक शानदार भूमिका निभाती है। यह न केवल दुनिया की जटिलताओं को समझने में मदद करती है, बल्कि विभिन्न क्षेत्रों में प्रभावी नीतियों के विकास में भी मदद करती है। सांख्यिकी साक्ष्य-आधारित निर्णय लेने का एक महत्वपूर्ण पहलू है।
(लेखक, स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।)
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