नई दिल्ली: देश में डिजिटल पेमेंट तो बढ़ा लेकिन डिजिटल मुद्रा यानी ई-रुपी का जादू नहीं चला. रिपोर्ट के अनुसार, आरबीआई द्वारा शुरू की गई डिजिटल मुद्रा, जिसे ई-रुपया के नाम से जाना जाता है. इसके डेली ट्रांजेक्शन में गिरावट देखी गई है, जो दिसंबर में अपने पीक से काफी नीचे गिर गई है. इस गिरावट से पता चलता है कि अब भी लोग डिजिटल करेंसी के तौर पर ई-रुपया को आसानी से स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं.
भारतीय रिज़र्व बैंक ने दिसंबर 2022 में हार्ड कैश (नकदी) के विकल्प के तौर पर डिजिटल ई-रुपी लॉन्च किया था. ई-रुपी ने दिसंबर 2023 तक प्रति दिन 1 मिलियन रिटेल ट्रांजेक्शन का बड़ा लक्ष्य हासिल कर लिया था. सूत्रों ने बताया, जो सीधे तौर पर इस पायलट प्रोजेक्ट में शामिल हैं कि ई-रुपी की डेली ट्रांजेक्शन संख्या अब करीब 100,000 लेनदेन तक कम हो गई है. इस प्रोजेक्ट में शामिल एक बैंकर ने कहा कि ई-रुपी के चलन में यह तेज गिरावट बताती है कि जनता के बीच ई-रुपये की नेचुरल डिमांड सीमित है.
आरबीआई ने सिस्टम की स्केलेबिलिटी का टेस्ट करने के लिए बैंकों के लिए 2023 के आखिरी तक डेली ट्रांजेक्शन को कम से कम 1 मिलियन तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा था. हालाँकि, लेन-देन की संख्या बढ़ाने के प्रयास अब बंद हो गए हैं. ई-रूपी के लॉन्चिंग पर आरबीआई ने कहा था कि CBDC डिजिटल रूप में केंद्रीय बैंक द्वारा जारी एक वैध मुद्रा है. यह कागजी मुद्रा के समान है और पेपर करेंसी के साथ इसका एक्सचेंज किया जा सकेगा. केवल इसका रूप अलग है. डिजिटल करेंसी या डिजिटल रुपी आरबीआई द्वारा डिजिटल फॉर्म में जारी करेंसी नोट है.
फिलहाल, RBI के पास इस पायलट प्रोजेक्ट को बड़े पैमाने पर विस्तारित करने की कोई योजना नहीं है. वहीं, वैश्विक स्तर पर, बैंक ऑफ इंटरनेशनल सेटलमेंट्स के एक सर्वे में पाया गया कि एक तिहाई केंद्रीय बैंक, केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्राओं के लिए पायलट प्रोजेक्ट चला रहे हैं. इस दौरान कुछ देशों में डिजिटल करेंसी को लेकर सीमित सफलता देखी गई.
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