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    मध्यप्रदेश के 55 जिलों में इंदौर 54वींं जगह, अधिकारियों की लापरवाही से गिरी रैंकिंग

  • June 25, 2024

    कलेक्टर भडक़े तो माफी मांगने पहुंचे

    इंदौर। सीएम हेल्पलाइन (CM Helpline) की रैंकिंग में इंदौर (Indore) जिला औंधे मुंह गिरा है। अब तक अधिकारी गिरती रैकिंग (ranking ) का ठीकरा चुनाव (Election) की व्यस्तताओं पर फोड़ रहे थे। अब उनके पास बहाने ही नहीं बचे हैं। 55 जिलों में से इंदौर 54वीं (54th) रैंक लाकर सबसे नीचे वाली पायदान पर पहुंच गया है। आंकड़ों को देख कलेक्टर आशीष सिंह (collector Ashish Singh) भडक़ उठे और उन्होंने अधिकारियों के वेतन काटने के निर्देश दिए। हालांकि अपर कलेक्टरों द्वारा माफी मांगने पर सजा कम कर दी गई।


    सीएम हेल्पलाइन को भी इंदौर जिला प्रशासन के अधिकारियों ने फिसड्डी बना दिया है। विधानसभा चुनाव के पहले छोटे-छोटे जिलों से तबादला होकर इंदौर पहुंचे अपर कलेक्टर इंदौर की तासीर समझ ही नहीं पाए और सीएम हेल्पलाइन जैसी महत्वपूर्ण योजना को बट्टा लगा बैठे। इंदौर जिला प्रदेश के 55 जिलों में से 54वें नम्बर पर है। ज्ञात हो कि पिछले महीने चुनावी माह का बहाना बनाने वाले अधिकारियों की वजह से 53वीं रैंक मिली थी, जो एक पायदान और नीचे गिर गई है। कलेक्टर ने समीक्षा बैठक के दौरान अधिकारियों को कड़वी घुट्टी पिलाई और दंडात्मक कार्रवाई करते हुए वेतन काटने का मौखिक आदेश दिया। हालांकि बैठक के बाद सभी अपर कलेक्टर एकजुट होकर कलेक्टर से माफी मांगने पहुंचे और सजा कारण बताओ नोटिस में तब्दील हो गई।

    मल्हारगंज को छोड़ सभी ने नाक कटाई
    इंदौर की सभी तहसीलों में सबसे ज्यादा मामले राजस्व को लेकर पैन्डिंग है। पिछले पचास दिनों में 2369 मामले भी प्रशासन के अधिकारी नहीं निपटा पाए। 4951 शिकायतें पैन्डिंग रखकर नगर निगम पिछड़े विभागों में पहले स्थान पर है, वहीं पुलिस प्रशासन द्वारा सुनवाई नहीं करने के कारण 4431 मामले लम्बित हैं। महिला एवं बालविकास विभाग, अनुसूचित जाति कल्याण विभाग, लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग, ऊर्जा विभाग, पिछड़़ा वर्ग व अल्पसंख्यक कल्याण विभाग, श्रम विभाग व पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग टाप टेन रैंकिंग गिराने वाले विभाग बन गए हैं। मल्हारगंज क्षेत्र को छोडक़र सभी तहसीलों में सुनवाई पर ध्यान ही नहीं दिया गया।

    लताड़ लगते ही काम शुरू
    सीएम हेल्पलाइन की समीक्षा के बाद पीएल बैठक से निपटे अधिकारियों ने आनन-फानन में प्रकरण निपटाना शुरू किए। दिनभर सारे काम छोडक़र सीएम हेल्पलाइन के प्रकरणों की सुनवाई हुई। आवेदकों को बुला-बुलाकर उनकी समस्याओं को निपटाया गया। हालांकि कई दिनों से पैन्डिंग पड़े मामलों को जबरन बंद किया जा रहा है।

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