वाशिंगटन (Washington) । शुक्रवार को ज्येष्ठ पूर्णिमा (Jyeshtha Purnima) के दौरान आसमान में चांद (Moon) अपने अनोखे रूप में नजर आया। धरती के सबसे करीब होने के चलते चांद अपेक्षाकृत अधिक चमकदार और बड़ा (shiny and big) नजर आया। वैज्ञानिकों ने इस खास दिन दिखने वाले चांद के लिए एक विशेष नाम दिया है। इस दिन के चांद के स्ट्रॉबेरी मून (Strawberry Moon) के नाम से जाना जाता है। स्ट्रॉबेरी मून को हनी मून, हॉट मून और फुल मून भी कहा जाता है। वैसे तो चंद्रमा की तेज रोशनी 20 जून से ही दिखनी शुरू हो गई थी और यह 22 जून को भी नजर आई लेकिन इसका सबसे प्रभावी रूप 21 जून को ही नजर आया। आसमान में चांद बेहद ही आकर्षक नजर आया।
भारत में कब आया नजर?
स्ट्रॉबेरी मून के दिखने के साथ ही भूमध्य रेखा के उत्तर में गर्मियों की शुरुआत और दक्षिण में सर्दियों की शुरुआत होती है। स्ट्रॉबेरी मून को देखने का सबसे बढ़िया समय शुक्रवार शाम को 7 बजकर 8 मिनट से शुरू हुआ जो रात 9 बजकर 08 मिनट तक जारी रहा। चूंकि, इसे देखने से आंखों को कोई नुकसान नहीं होता, इसलिए लोगों ने इसका खूब दीदार किया।
यह साल का सबसे दूर की पूर्णिमा थी। इस दौरान चंद्रमा सुदूर अंतरिक्ष में पृथ्वी की तरफ लटका हुआ दिखाई दिया। ऐसा इसलिए है क्योंकि यह सूर्य की स्थिति को दिखाता है। 21 जून को सूर्य अपने उच्चतम बिंदु पर होने के चलते यह वर्ष का सबसे लंबा दिन होता है। जब सूर्य अपने उच्चतम बिंदु पर होता है तो पूर्णिमा सूर्य के विपरीत अपने निम्नतम बिंदु पर होगी। हालांकि, इस साल यह और भी ज्यादा चरम पर है क्योंकि हर 18.6 साल में एक बार प्रमुख चंद्र ठहराव होता है।
क्यों कहा जाता है स्ट्रॉबेरी मून?
चंद्रमा के इस रूप से स्ट्रॉबेरी मून कहे जाने की कहानी भी दिलचस्प है। इसे यह नाम उत्तरी अमेरिका के एल्गोनक्विन आदिवासियों ने दिया था। यही समय होता है जब उत्तरी अमेरिका में स्ट्रॉबेरी की फसल काटी जाती है। हालांकि, बहुत से लोग समझते हैं कि चांद के रंग की वजह से इसका यह नाम रखा गया है। इस दिन चंद्रमा स्ट्रॉबेरी के रंग की तरह नहीं बल्कि अपनी पीली रोशनी के साथ ही दिखाई देता है।
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