नई दिल्ली (New Delhi) । लोकसभा चुनाव से कुछ महीने पहले ही राज्यसभा इलेक्शन (Rajya Sabha Election) के लिए हुई वोटिंग में समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के 7 विधायकों ने क्रॉस वोटिंग (Cross Voting) कर दी थी। इन विधायकों के पालाबदल के चलते भाजपा के एक अतिरिक्त उम्मीदवार को भी जीत मिल गई थी। तब भाजपा ने इसे बड़ी सफलता के तौर पर देखा था। इसके अलावा इन विधायकों को भी लग रहा था कि सत्ताधारी दल के साथ जाकर उन्हें कुछ बड़ा मिल जाएगा। लेकिन अब रायबरेली की ऊंचाहार सीट से विधायक मनोज पांडेय और फूलपुर की पूजा पाल समेत इन सभी विधायकों को भाजपा से कोई भाव नहीं मिल रहा है।
वहीं समाजवादी पार्टी का कहना है कि हम इन विधायकों के खिलाफ विधानसभा स्पीकर से शिकायत करेंगे और उनकी सदस्यता रद्द कराएंगे। अब इन विधायकों की स्थिति यह हो गई कि भाजपा के पास फायदे के लिए गए थे और उलटा सदस्यता खोकर नुकसान ही उठाना पड़ रहा है। यदि इन विधायकों की सदस्यता गई तो यह बड़ा नुकसान होगा क्योंकि राज्य में विधानसभा चुनाव में अभी पूरे तीन साल का वक्त बाकी है। इसके अलावा लोकसभा चुनाव में भी इन लोगों को टिकट नहीं मिला। अब यदि सदस्यता जाती है तो वे किसी भी सदन के सदस्य नहीं रहेंगे। संकट यह होगा कि यदि भाजपा से इन लोगों को उपचुनाव में टिकट नहीं मिला तो फिर इनके आगे बड़ी समस्या खड़ी हो जाएगी।
बता दें कि मनोज पांडेय रायबरेली की ऊंचाहार सीट से विधायक हैं, लेकिन यहां भाजपा को लोकसभा चुनाव में हार मिली है। वह वोटिंग से ठीक पहले भाजपा में शामिल हुए थे। इसके अलावा पूजा पाल, राकेश पांडेय, विनोद चतुर्वेदी, आशुतोष वर्मा और अभय सिंह जैसे विधायकों की सीट पर भी भाजपा को जीत नहीं मिली है। कहा जा रहा है कि चुनाव नतीजों के बाद से ही भाजपा इनके संपर्क में नहीं है, जबकि सपा अब ऐक्शन मोड में है। खुद अखिलेश यादव कह चुके हैं कि धोखा देने वालों को माफी नहीं दी जाएगी। सपा का कहना है कि गलती की माफी दी जा सकती है, लेकिन षड्यंत्र पर माफी नहीं मिलेगी।
मनोज पांडेय के चलते स्वामी प्रसाद ने छोड़ी थी सपा
बता दें कि क्रॉस वोटिंग के बाद से ही अखिलेश यादव इनसे काफी नाराज थे। खासतौर पर मनोज पांडेय को लेकर उनकी नाराजगी अधिक थी। इसकी वजह यह थी कि उनके चलते ही स्वामी प्रसाद मौर्य सपा छोड़ गए थे और फिर वह भी भाजपा में चले गए। गौरतलब है कि पूजा पाल ने तो कई बार योगी आदित्यनाथ की पहले भी तारीफ की थी। उसके बाद से ही उनकी भाजपा से करीबी होने की चर्चाएं थीं।
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