इंदौर। कई दशकों से अनसर्वेड एरिया (Unsurveyed Area) के रूप में जाने जाने वाले रेजिडेंसी (Residency) क्षेत्र को अब अपनी खुद की पहचान मिल जाएगी। सीमांकन (Demarcation) की प्रक्रिया पूरी होने के बाद नक्शा तैयार किया जा चुका है प्रशासन ने वेब जीआईएस पोर्टल (GIS Portal) पर रेसीडेंसी गांव का नाम दर्ज करने के लिए शासन को पत्र लिखा है। अब सारा एप्प के माध्यम से नक्शे पर भूमि स्वामियों के साथ कब्जेदारों के नाम भी चढ़ाए जाएंगे।
1000 से अधिक भूमि स्वामियों ने रेसीडेंसी क्षेत्र के दस्तावेज प्रशासन को उपलब्ध करा दिए हैं। अब वेब जीआईएस पोर्टल पर रेसीडेंसी गांव के रूप में क्षेत्र का नाम दर्ज हो जाएगा। यहां रह रहे रहवासियों को न केवल अपने जमीन का अधिकार मिलेगा बल्कि ऐसे रहवासी जो दस्तावेज उपलब्ध नहीं करा सके हैं उन्हें भी धारणा अधिकार दिलवाया जा सकेगा। अपर कलेक्टर सपना लोहवंशी से मिली जानकारी के अनुसार वेब जीआईएस पोर्टल पर नाम दर्ज होने की प्रक्रिया 2 दिन में पूरी हो जाएगी, उसके बाद नक्शे पर नाम चढ़ाए जाएंगे । प्रशासन ने उक्त जमीन को लेकर ऑफलाइन लिस्टिंग पूरी कर ली है। नाम दर्ज होने की प्रक्रिया के बाद सारा ऐप पर प्रकरण दर्ज कर प्लॉटों की भी लिस्टिंग की जाएगी, हालांकि विभागीय सूत्रों के अनुसार नक्शे पर प्रशासन ने एंट्री करना शुरू कर दिया है सरकार की तरफ से उन्हें एलजी कोड प्राप्त हो गया है।
730 एकड़ ही है जमीन
दस्तावेजों में 1030 एकड़ का उल्लेख होने के बाद से ही प्रशासन जमीन का सीमांकन कर रहा था। ड्रोन फ्लाई सर्वे के बाद साफ हो गया है कि उक्त जमीन पर अनसर्वेड एरिया 730 एकड़ ही है। पांच सेक्टर में बाटकर जमीन का सर्वे कराया गया है। भूमि स्वामी संबंधी दस्तावेज एकत्रित किए गए हैं। अब इन्हें चढ़ाने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। ज्ञात हो की प्रशासन ने पूरे रेसीडेंसी क्षेत्र में रह रहे लोगों को नोटिस जारी कर दस्तावेज की मांग की थी जिसमें से अधिकतर ने अपना जवाब प्रस्तुत कर दस्तावेज उपलब्ध करा दिए है। हालांकि आजाद नगर व शुक्ल नगर क्षेत्र के कोई भी दस्तावेज उपलब्ध नहीं हुए हैं। यहां रहवासियों को कब्जे धारक के रूप में दर्ज किया जायेगा।
डरे नही बेघर नही किया जायेगा
ऐसे रहवासी जो दशकों से इस क्षेत्र में निवास कर रहे हैं और उनके पास कोई दस्तावेज नहीं है उन्हें भी डरने की जरूरत नहीं है। प्रशासन किसी को भी हटाने की कार्रवाई नहीं कर रहा है जमीन को सरकारी दर्ज करने के बाद इन्हें भी कालम 12 में कब्जे धारक के रूप में दर्ज किया जाएगा एमपीएलआरसी की धाराओं में कार्रवाई कर धारणाधिकार के तहत अधिकार दिए जाएंगे। प्रशासन ने साफ कर दिया है कि ऑथेंटिक रिकॉर्ड दिलाना उनका उद्देश्य है ना की जमीन हथियाना। जमीन का अधिकार मिलने के बाद रहवासी अपने घर पर लोन लेने या उसे विकसित करने के लिए स्वतंत्र हो जाएंगे। हालांकि इस क्षेत्र में स्थित कई बंगलों और कॉलोनी के भी दस्तावेज नहीं मिले हैं जिसे लेकर प्रशासन मंत्रणा कर रहा है।
रिकॉर्ड ऑफ राइट्स के बाद होगा प्रथम प्रकाशन
रेसीडेंसी क्षेत्र का सर्वे नहीं होने के कारण सरकार द्वारा एनजीटी कोड जारी कर सर्वे के निर्देश दिए थे। ड्रोन सर्वे के बाद मैप तैयार करने की प्रक्रिया पूरी की गई। प्रशासन द्वारा फिजिकल वेरीफिकेशन की प्रक्रिया पूरी करते ही अब नाम दर्ज करने की प्रक्रिया शुरू की जा रही है। रिकॉर्ड ऑफ़ राइट्स के तहत नक्शे पर एंट्री की जाएगी। भू-अभिलेख अधिकारी अनिल मेहता के अनुसार नक्शे में नाम दर्ज होने की प्रक्रिया के बाद प्रथम प्रकाशन कराया जाएगा, और दावे आपत्तियां भी बुलाई जाएगी। दावे आपत्तियों के निराकरण के बाद ही अंतिम प्रकाशन की प्रक्रिया पूरी कराई जाएगी। विभागीय सूत्रों के अनुसार पूरे रेसीडेंसी क्षेत्र में 95 प्रतिशत जमीन सरकारी है यहां के रहवासियों को कहां से और कितनी जमीन किसके द्वारा दी गई है इसकी जानकारी भी एकत्रित की जा रही है ।
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