नई दिल्ली (New Delhi)। जीएसटी काउंसिल (GST Council) शनिवार को होने वाली बैठक में कई अहम मुद्दों पर विचार-विमर्श (Discussion on many important issues) कर सकती है। इनमें ऑनलाइन गेमिंग (Online Gaming ) पर टैक्सेशन का बड़ा मुद्दा शामिल है। ऑनलाइन गेमिंग पर फिलहाल 28 फीसदी जीएसटी (28 percent GST) लगता है। बताया जा रहा है कि बैठक में इसकी समीक्षा हो सकती है।
आठ माह बाद हो रही बैठक
जीएसटी काउंसिल की 53वीं बैठक केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में होगी। इस परिषद में राज्यों के वित्त मंत्री शामिल हैं। इस बैठक में जीएसटी दरों को तर्कसंगत बनाने पर गठित मंत्री समूह (जीओएम) की रिपोर्ट को अंतिम रूप देने पर हुई प्रगति पर भी चर्चा होने की संभावना है। जीएसटी काउंसिल की यह बैठक आठ महीने के अंतराल के बाद हो रही है। इससे पहले, जीएसटी काउंसिल की 52वीं बैठक सात अक्टूबर, 2023 को हुई थी।
उर्वरकों से हट सकता है जीएसटी
बैठक में उर्वरकों से जीएसटी हटाने का फैसला हो सकता है। इस मामले में गठित समिति ने उर्वरकों को जीएसटी से छूट करने का प्रस्ताव दिया है। इसकी सिफारिश सरकार को भेजी गई है। अभी उर्वरकों पर पांच प्रतिशत जीएसटी लगता है। इससे जुड़े उद्योग इसे पूरी तरह हटाने की मांग कर रहे हैं।
28 फीसदी लगता है जीएसटी
जीएसटी काउंसिल ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों के लिए दांव के पूरे मूल्य पर 28 प्रतिशत जीएसटी लगाने के निर्णय की समीक्षा कर सकती है। यह फैसला एक अक्टूबर, 2023 से लागू हुआ है। जीएसटी काउंसिल ने जुलाई और अगस्त में अपनी बैठकों में ऑनलाइन गेमिंग, कसीनो और घुड़दौड़ को कर-योग्य दावों के रूप में शामिल करने के लिए कानून में संशोधन को मंजूरी दी थी। साथ ही स्पष्ट किया था कि दांव के पूरे मूल्य पर 28 प्रतिशत कर लगेगा। उस समय कहा गया था कि इस फैसले के क्रियान्वयन के छह महीने बाद इसकी समीक्षा की जाएगी।
क्या चाहती हैं गेमिंग कंपनियां
ऑनलाइन गेमिंग कंपनियां दांव के पूरे मूल्य के बजाए कुल गेमिंग राजस्व (जीजीआर) पर 28 फीसदी जीएसटी लगाने की मांग कर रही हैं। कुल गेमिंग राजस्व दांव पर लगाई गई कुल रकम और जीती गई रकम का अंतर होता है। गेमिंग उद्योग से जुड़े लोगों को उम्मीद है कि समीक्षा बैठक में कुछ राहत मिल सकती है।
जीएसटी दरें तर्कसंगत बनाने की वकालत
देश में बड़ी संख्या में शीर्ष प्रबंधन स्तर के अधिकारी जीएसटी के बारे में सकारात्मक धारणा रखते हैं। डेलॉयट के एक सर्वे में यह तथ्य सामने आया है। इनमें से कई अधिकारियों ने जीएसटी 2.0 के तहत कर दरों को तर्कसंगत बनाने और विवाद निपटान के लिए एक प्रभावी प्रणाली की वकालत की है।
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