नई दिल्ली(New Delhi) । जम्मू(Jammu) को निशाना बनाने की कोशिश आतंकियों(Attempted terrorists) ने अनुच्छेद 370 खत्म होने के करीब दो साल के भीतर ही 2021 में शुरू कर दी थी। जब घाटी में आतंकियों(terrorists in the valley) पर सख्ती(Strictness) हो रही थी तो उनके गुट जम्मू(Faction Jammu) में पैठ बनाने के लिए गुपचुप मुहिम चला रहे थे। ताजा हमलों की छानबीन में पता चला है कि आतंकियों ने जम्मू के कई इलाकों में अपने नेटवर्क का विस्तार कर लिया है। उन्होंने ओवर ग्राउंड वर्कर की अच्छी खासी टीम खड़ी कर ली है। ये टीमें उनकी सहायता के अलावा उनके लिए मुखबिरी भी कर रही हैं।
एक अधिकारी ने बताया कि 2021 के मध्य से जम्मू संभाग में कम से कम 26 आतंकी हमले हुए हैं। ये हमले संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू-कश्मीर को मिले विशेष दर्जे के खत्म होने के बाद क्षेत्र में आतंकवाद को पुनर्जीवित करने की मुहिम के चलते हुए। इसी के तहत पिछले पांच-छह महीनों में राजौरी और पुंछ में आतंकी घटनाओं में वृद्धि देखी गई है।
जम्मू में लंबे अरसे बाद 27 जून, 2021 को एक घटना हुई थी जिसे आतंकी सक्रियता के लिहाज से चेतावनी माना गया था। इसमें पेलोड के साथ दो मानव रहित हवाई वाहन जम्मू वायुसेना स्टेशन के तकनीकी क्षेत्र में दुर्घटनाग्रस्त हो गए, जिससे दो कम तीव्रता वाले विस्फोट हुए। उस समय जम्मू-कश्मीर पुलिस ने इसे आतंकी हमला बताया और गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया था। बाद में गृह मंत्रालय ने मामले को एनआईए को सौंप दिया।
सीमा पार से साजिश
सूत्रों का कहना है कि आतंकियों का निशाना बन रहे नए इलाकों में आतंकवाद 2003 में लगभग समाप्त हो गया था। नब्बे के दशक में आतंक से प्रभावित रहे इस क्षेत्र में आतंकवाद को पुनर्जीवित करने की गंभीर साजिश सीमा पार से रची जा रही है। इस इलाके में पाकिस्तान आतंकवाद को बढ़ावा देने व छद्म समूहों को सक्रिय करने की रणनीति पर लगातार काम कर रहा है।
आम लोग निशाना, एक बदली रणनीति
इस हमले के बाद से जम्मू में सिलसिलेवार कुछ अंतराल पर घटनाएं होती रहीं। हमलों के लिए अलग-अलग तरीके अपनाए गए। लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) द्वारा ड्रोन संचालित हमले का प्रयास किया गया। जितने भी हमले हुए, ज्यादातर में निशाना सुरक्षा बलों को बनाया गया। पर एक बार फिर रणनीति में बदलाव करके आम लोगों व पर्यटकों को निशाना बनाया जा रहा है।
आतंक के खात्मे का ठोस प्लान तैयार
सूत्रों का कहना है कि जम्मू में अधिकांश हमले राजौरी व पुंछ के सीमावर्ती जिलों में हुए हैं जो पीर पंजाल रेंज के तहत आते हैं। आतंकियों की सघन छानबीन के साथ संदिग्ध मददगारों की पहचान की कवायद चल रही है। आतंक के खात्मे का ठोस प्लान बन चुका है। जल्द इसका असर देखने को मिल सकता है।
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