इन्दौर। इंदौर में अगले माह होने वाला 51 लाख पौधारोपण का अभियान रिकार्डतोड़ होगा। यह अभियान 7 जुलाई से शुरू हो जाएगा। पौधारोपण से आम लोगों को जोडऩे के लिए आधुनिक तकनीक का सहारा लिया जा रहा है। पौधारोपण के स्थान की जियो टैगिंग की जा रही है, ताकि गुगल मेप के सहारे व्यक्ति को पता चल सके कि उनके ाअसपास कहां पौधारोपण हो रहा है और वह उसमें भाग ले सकें। आज विधिवत रूप से मुख्यमंत्री मोहन यादव इस अभियान की लांचिंग करने जा रहे हैं। दक्षिण भारत से भी पौधे मंगाए जा रहे हैं। छोटे पौधे से लेकर बड़े पौधे भी इसमें शामिल हैं।
वहीं इंदौर की नर्सियों के साथ-साथ अलीराजपुर और झाबुआ की नर्सरी से भी पौधे उपलब्ध कराए जा रहे हैं। मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने कल इस अभ्यिान के बारे में विस्तृत जानकारी साझा की। उनके साथ महापौर पुष्यमित्र भार्गव, विधायक रमेश मेंदोला, गोलू शुक्ला, मधु वर्मा, भाजपा के दोनों अध्यक्ष्चा गौरव रणदिवे और चिंटू वर्मा भी मौजूद थे। विजयवर्गीय ने बताया कि एकसाथ 51 लाख पौधे नहीं लगाए जा सकते, इसलिए 7 जुलाई से ये ही ये अभियान शुरू किया जा रहा है। इसमें नगर निगम, फारेस्ट, बीएसएफ अपने क्षेत्र में ज्यादा से ज्यादा पौधे लगाएगा।
इसके साथ अन्य विभाग तो लगाएंंगे ही वहीं समाज की भी सबसे बड़ी भागीदारी रहेगी। एक प्रेजेन्टेशन में अभियान का तकनीकी पहलू संभाल रहे हर्ष ने बताया कि हमने सभी पौधों की जियो टैगिंग कराई है,जिसके माध्यम से व्यक्ति को मालूम चल सकेगा कि उनके नजदीककिस स्थान पर पौधारोपण हो रहा है। वे वहां जाकर पौधारोपण अभियान में भाग ले सकेंगे। मंत्री विजयवर्गीय ने बताया कि प्रधानमंत्री के एक पौधा मां के नाम अभियान में अकेले इंदौर ही 51 लाख पौधे लगा रहा है। उन्होंने अपील की है कि वे अपने साथ अपनी मां को लेकर जाएं और एक पौधा अवश्य लगाएं। पौधा किस तरह से लगाया जाएगा, इसकी जानकारी सोशल मीडिया पर वीडियो के माध्यम से दी जाएगी, ताकि वह पौधा जीवित रह सके। महापौर भार्गव का कहन था कि एक दिन में 11 लाख के आसपास पौधे लगाए जाएंगे, जिससे रिकार्ड टूट जाएगा। इसको कवर करने के लिए गिनीज बुक ऑफ वल्र्ड रिकार्ड की टीम के सदस्य भी आ रहे हैं। वे गड्ढों की संख्या, पौधों की संख्या और उन्हें लगाने वालों की जानकारी एकत्रित करेंगे।
पौधारोपण में होगा मियावाकी पद्धति का उपयोग
पौधारोपण अभियान में मियावाकी पद्धति का उपयोग भी किया जाएगा। इस पद्धति में दो बड़े पेड़ों के बीच छोटे-छोटे पेड़ लगाए जाते हैं। चूंकि बड़े पेड़ों को फैलने के लिए काफी जगह लगती है, इसलिए इस अभियान में छोटे पेडृ इनके बीच लगाए जाएंगे, ताकि अभियान का लक्ष्य पूरा
हो सके।
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