इन्दौर। कल रात मालवा उत्सव में पहुंचे मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा कि ऐसे उत्सव राज्य में और उसके बाहर भी होना चाहिए। अगले साल जब मालवा उत्सव का 25वां साल रहेगा, तब इस तरह के उत्सव होना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि कला हमारी संस्कृति की अभिव्यक्ति का सशक्त माध्यम है और इसे जिंदा रखना हमारा कर्तव्य है। करीब डेढ़ घंटे की देरी से पहुंचे मुख्यमंत्री को मुख्य द्वार से कलाकारों द्वारा जुलूस के रूप में लाया गया। मुख्यमंत्री को साफा पहनाया गया और उनके हाथ में बांसुरी दी गई। मुख्यमंत्री अपने आपको थिरकने से रोक नहीं पाए। मुख्यमंत्री जब मालवा उत्सव में पहुंचे तो मंच पर लावणी की प्रस्तुति दी जा रही थी। पुलिसवालों ने इसे बंद कराने को कहा तो पवन शर्मा ने आपत्ति ली कि एक बार कार्यक्रम शुरू हो गया है, यह समाप्त होगा उसके बाद मंचीय कार्यक्रम शुरू हो सकेगा।
मंच पर मुख्यमंत्री के साथ मंत्री तुलसी सिलावट, महापौर पुष्यमित्र भार्गव, सत्यनारायण सत्तन, विधायक रमेश मेंदोला, गोलू शुक्ला, उषा ठाकुर, मालिनी गौड़ उनके साथ रहीं। आयोजक शंकर लालवानी ने बताया कि किस तरह से हमने 1999 में लोककला के इस उत्सव की शुरूआत की थी। मुख्यमंत्री यादव का स्वागत विशाल गिदवानी, बंटी गोयल, सतीश शर्मा, कमल आहूजा ने किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि अगले साल से इसे और भव्य रूप में आयोजित किया जाएं। उन्होंने यह भी बताया कि महाकाल लोक में फाइबर की जगह पत्थरों की मूर्तियां बनाने का काम चल रहा है, वह भी जल्द ही पूरा हो जाएगा। जाते-जाते मुख्यमंत्री को ऊंट पर बैठने का कहा गया तो उन्होंने मना कर दिया। उन्होंने कहा कि उज्जैन में भी कई कार्यक्रम है और वहां लोग शाम से मेरा रास्ता देख रहे हैं। उसके बाद मुख्यमंत्री उज्जैन रवाना हो गए।
©2024 Agnibaan , All Rights Reserved