इंदौर। इंदौैर के दो नेताओं को छोडक़र प्रदेश के निगम-मंडलों में की गई राजनीतिक नियुक्तियों को समाप्त कर दिया गया था। इसके पीछे कारण एससी और एसटी वर्ग के मतदाताओं को नाराज नहीं करना था, लेकिन अब चुनाव हो गए हैं और अब जल्द ही इंदौर के इन दोनों नेताओं पर पद जाने की तलवार लटक रही है। राज्य सरकार जल्द ही प्रदेश के बचे हुए निगम-मंडल भंग करने की तैयारी कर रही है। इंदौर से चार नेताओं को निगम-मंडल और आयोग में राजनीतिक नियुक्तियां देकर तत्कालीन शिवराज सरकार ने उपकृत किया था। इसमें संघ से आए जयपालसिंह चावड़ा को इंदौर विकास प्राधिकरण का अध्यक्ष तथा डॉ. निशांत खरे को युवा आयोग का अध्यक्ष बनाया गया था।
इसके अलावा सांवेर विधानसभा में तुलसी सिलावट को उपचुनाव में उतारने के कारण सावन सोनकर को अजा वित्त विकास निगम का अध्यक्ष तथा प्रताप करोसिया को सफाई कर्मचारी आयोग का अध्यक्ष बनाकर राज्यमंत्री का दर्जा दिया गया था, लेकिन शिवराजसिंह चौहान के मुख्यमंत्री पद से हटते ही फरवरी में मुख्यमंत्री मोहन यादव ने 46 निगम-मंडल और आयोग में की गई राजनीतिक नियुक्तियों को रद्द कर दिया था। इसमें जयपाल चावड़ा और निशांत खरे का पद जाता रहा, लेकिन सरकार ने सावन सोनकर और प्रताप करोसिया को यथावत रखा था। बताया गया कि कई अजा नेताओं के पद अभी भंग नहीं किए गए हैं, क्योंकि आने वाले लोकसभा चुनाव में अजा वोटर नाराज न हो जाएं। चूंकि अब लोकसभा चुनाव हो चुके हैं और केन्द्र में भाजपा की सरकार बन गई तो एक बार फिर से बचे हुए निगम-मंडल और आयोग को भंग करने की तैयारी सरकार कर रही है। किसी भी दिन ये निगम-मंडल और आयोग भंग किए जा सकते हैं और इनमें फिर सिरे से राजनीतिक नियुक्तियां की सकती हैं। संंभवत: विधानसभा का मानसून सत्र समाप्त होने के बाद आदेश जारी किए जा सकते हैं। सूत्रों के अनुसार सावन और प्रताप को संगठन में कहीं एडजस्ट किए जाने की संभावना है। उनके स्थान पर दूसरे अजा नेताओं को जगह दी जा सकती है।
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