नई दिल्ली(New Delhi) । भारत(India) ने बुधवार को कहा कि वह रूसी सेना में कार्यरत(Serving in the Russian Army) अपने नागरिकों की सुरक्षा(Protection of citizens) और स्वदेश वापसी(Repatriation) सुनिश्चित करने के लिए रूस पर दबाव(Pressure on Russia) डाल रहा है। विदेश सचिव विनय क्वात्रा(Foreign Secretary Vinay Kwatra) की यह टिप्पणी विदेश मंत्रालय के यह कहने के एक दिन बाद आई कि रूसी सेना में कार्यरत दो और भारतीय रूस-यूक्रेन संघर्ष में मारे गए हैं। दो भारतीयों के मारे जाने से ऐसी मौतों की संख्या चार हो गई है। क्वात्रा ने कहा, “पहले दिन से ही हम लगातार रूसी अधिकारियों और नेतृत्व के साथ इस मामले पर चर्चा कर रहे हैं।” उन्होंने इस मुद्दे पर एक सवाल का जवाब देते हुए संवाददाताओं से कहा, “हमारे सभी प्रयासों का उद्देश्य भारतीयों को सुरक्षित रखना है।”
उन्होंने कहा, “हमने रूसी अधिकारियों से स्पष्ट रूप से कहा है कि युद्ध क्षेत्र में सभी भारतीयों को, चाहे वे किसी भी तरह से वहां पहुंचे हों, उन्हें (भारत वापस) लौटाया जाना चाहिए।” विदेश मंत्रालय ने दो भारतीयों की मौत की पुष्टि करते हुए मंगलवार को कहा था कि भारत ने रूस के साथ इस मामले को दृढ़ता से उठाया है और रूसी सेना में कार्यरत सभी भारतीय नागरिकों की शीघ्र वापसी की मांग की है।
विदेश सचिव ने कहा कि भारत ने इस मुद्दे को बहुत गंभीरता से लिया है। उन्होंने कहा, “हमने उनके परिवारों से संपर्क किया है, जांच की है कि वे व्यक्ति (रूस) कैसे पहुंचे, और रूसी अधिकारियों से जवाब देने को कहा है तथा यह जारी रहेगा।” मार्च में, 30 वर्षीय हैदराबाद निवासी मोहम्मद असफान की यूक्रेन से लगती सीमा पर रूसी सैनिकों के लिए काम करते समय घायल होने के कारण मृत्यु हो गई थी।
फरवरी में, गुजरात के सूरत निवासी 23 वर्षीय हेमल अश्विनभाई मंगुआ की डोनेट्स्क क्षेत्र में “सुरक्षा सहायक” के रूप में काम करते समय यूक्रेन के हवाई हमले में मृत्यु हो गई थी। अधिकारियों के अनुसार, रूसी सेना के साथ सहायक के रूप में काम करने वाले कुल 10 भारतीयों को मुक्त कर दिया गया है और भारत वापस भेज दिया गया है। खबरों के मुताबिक, करीब 200 भारतीय नागरिकों को रूसी सेना में सुरक्षा सहायक के तौर पर भर्ती किया गया था।
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