महू शहर की खपत के बराबर 40 मेगावाट बिजली का उत्पादन
इंदौर कमलेश्वर सिंह सिसोदिया।
सौर ऊर्जा (solar energy) से बिजली उत्पादन (Electricity production ) लगातार बढ़ रहा है, विश्व (World) के सबसे बड़े नदी के पानी की लहरों पर तैरती (floating on the waves) सोलर पैनल ओंकारेश्वर (Omkareshwar) में बिजली उत्पादन शुरू कर दिया है। प्रथम चरण में यहां पर महू शहर की बिजली खपत के बराबर तकरीबन 40 मेगावाट बिजली सूरज की रोशनी से बनना शुरू हो चुकी है।
संभाग के ओंकारेश्वर के समीप विश्व के सबसे बड़े फ्लोटिंग सोलर संयंत्र (नदी की लहरों पर तैरते सोलर पैनल) से बिजली बनना प्रारंभ हो गई है। मंगलवार और बुधवार को करीब 40 मेगावाट क्षमता बिजली का उत्पादन किया गया है। इस अपनी तरह के अनोखे प्रोजेक्ट से अलग-अलग चरणों में 700 मेगावाट बिजली सूरज की रोशनी से बनाई जाना प्रस्तावित है, जो इंदौर की बिजली खपत के बराबर है। पिछले दो साल से यहां पर सघन प्रशिक्षण और कार्ययोजना को अंजाम देने के लिए सैकड़ों कर्मचारी और एजेंसी काम कर रही थी। नर्मदा के ओंकारेश्वर बांध के बैक वाटर पर बने प्रोजेक्ट से तैयार हुई बिजली को आगे पहुंचाने के लिए 33000 वॉट और 132000 वाट क्षमता के ग्रिडो से पैनल्स की कनेक्टिविटी दी गई है।
ताप्ती, चंबल और नर्मदा पर बड़े बांध, यहां भी संभावनाएं
सूरज की किरणों से नदी की तैरती लहरों पर बिजली उत्पादन करने इस प्रक्रिया को ओंकारेश्वर में आदर्श माना जा रहा है। प्रदेश में अब ताप्ती, चंबल और नर्मदा नदी के अन्य जगह बने बड़े-बड़े डैम (बांध) के बैक वाटर में सोलर पैनल लगाने के लिए प्रयास शुरू होंगे। इससे एक नए क्षेत्र में सौर ऊर्जा के माध्यम से बिजली उत्पादन में यह बड़ा कदम माना जा रहा है। पूर्व ऊर्जा प्रमुख सचिव संजय दुबे ने विगत 2 वर्षों से इस प्रोजेक्ट में खासी दिलचस्पी रखी थी और अब यहां से बिजली उत्पादन का पहला चरण शुरू हो चुका है।
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