अब महापौर की चि_ी भी चर्चा में, अफसरों-जनप्रतिनिधियों के बीच निगम में बढ़ेगा और भी घमासान
इंदौर। पुलिस (Police) ने पिछले दिनों निगम के फर्जी बिल महाघोटाले (Corporation’s fake bill scam) में लिप्त तीन वरिष्ठ ऑडिटरों (Auditors) को भी गिरफ्तार ( arrested) कर लिया था और उनसे की गई पूछताछ में दस्तावेजों की कमी और उसके बावजूद बिना आवक-जावक या अन्य जानकारी लिए ही भुगतान के लिए फर्जी फाइलों को मंजूरी दे दी और बदले में अधिक कमीशन ठेकेदारों से हासिल किया। रिमांड की अवधि खत्म होने पर इन ऑडिटरों को जेल भेज दिया (sent to jail)। वहीं डायमंड इंटरप्राइजेस के जिस जाहिद खान को पुलिस ने गिरफ्तार किया उससे अभी पूछताछ चल रही है। हालांकि उसने भी खुद को मोहरा यानी ठेकेदार एजाज का सुपर वाइजर बताया है और उसे यह भी पता नहीं था कि यह फर्जी फाइलें बनाई गई।
पुलिस ने डिप्टी डायरेक्टर ऑडिट समरसिंह और सहायक ऑडिटर रामेश्वर परमार के बाद $जॉइंट डायरेक्टर अनिल गर्ग को भी गिरफ्तार किया था। उनसे पुलिस ने सख्ती से पूछताछ भी की कि बिना वैध दस्तावेजों, आवक-जावक सहित अन्य रिकॉर्ड के आखिर करोड़ों रुपए की फर्जी फाइलों को पेमेंट के लिए मंजूरी कैसे दे डाली। हालांकि इन ऑडिटरों ने सिर्फ अधिक कमीशन मिलने की बात कही और अभय राठौर सहित ठेकेदारों को ही इस घोटाले का जिम्मेदार बताया। दूसरी तरफ ईडी द्वारा निगम महाघोटाले की जांच की भी खबरें सामने आई। मगर खुद ईडी ने अभी तक इसकी कोई अधिकृत जानकारी मीडिया को नहीं दी है। साथ ही पुलिस और निगम प्रशासन को भी इसकी जानकारी नहीं है। दूसरी तरफ कल महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने एक पत्र मुख्यमंत्री को लिखा है, जिसमें स्मार्ट सिटी के अधिकारियों द्वारा वेस्ट मैनेजमेंट एजेंसी को अवैध लाभ पहुंचाने के आरोप लगाए हैं। नगर निगम ने सूखा कचरा निपटान के लिए नेफ्रा नामक कम्पनी को ठेका दिया हुआ है और कम्पनी ने सवा करोड़ रुपए साल के हिसाब से निगम को रॉयल्टी भी नहीं चुकाई। वहीं 2021 में उसे 7 साल का एक्सटेंशन दे दिया। हालांकि जांच के बाद यह साबित होगा कि घोटाला हुआ भी अथवा नहीं। मगर अब इससे निगम में अफसरों-जनप्रतिनिधियों के बीच घमासान और भी अधिक बढ़ जाएगा।
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