नई दिल्ली (New Delhi)। इस साल जलवायु परिवर्तन (Climate change) की घटनाओं से बिगड़ने वाले मौसम (Bad weather) के चलते अब तक 2,500 लोगों की जान जा चुकी है और 41 बिलियन डॉलर (41 billion dollars) (लगभग 3.43 लाख करोड़ रुपये) का नुकसान हो चुका है। भारत (India) में जारी प्रचंड गर्मी (Extreme heat) के बीच यह रिपोर्ट ब्रिटेन (Britain) स्थित गैर सरकारी संगठन क्रिश्चियन एड (NGO Christian Aid) ने जारी की है। रिपोर्ट के अनुसार, पिछले छह महीनों में खराब मौसम की ये घटनाएं संभावित रूप से जलवायु परिवर्तन के कारण हुई हैं। यह आकलन पिछले साल दिसंबर में दुबई में अंतरराष्ट्रीय जलवायु वार्ता (कॉप28) के बाद का है।
एनजीओ के मुताबिक, संयुक्त अरब अमीरात में कॉप28 (COP28 in UAE) के बाद भी जीवाश्म ईंधन का त्याग करने और जलवायु आपदाओं से निपटने में गरीब देशों का समर्थन करने के लिए कोई खास प्रगति नहीं हुई है। जर्मनी के बॉन में सोमवार को जलवायु वार्ता के दूसरे सप्ताह में कहा कि ये संख्याएं दर्शाती हैं कि जलवायु संकट की लागत पहले से ही महसूस की जा रही है।
एनजीओ के एक पदाधिकारी क्रिश्चयन एड ने कहा, ग्रीनहाउस गैसों के लिए सर्वाधिक जिम्मेदार धनी देश हैं जो वातावरण को गर्म कर रहे हैं, उन्हें जिम्मेदारी लेनी चाहिए और अन्य देशों को मौसम की चरम घटनाओं से निपटने और उबरने में मदद करने के लिए क्षति कोष में अपनी फंडिंग बढ़ानी चाहिए। कॉप28 में जलवायु परिवर्तन की घटनाओं के चलते गरीब देशों को होने वाले नुकसान की क्षतिपूर्ति के लिए कोष गठित पर सहमति बनी थी।
भारत में गर्मी से बड़े पैमाने पर गई जानें, नुकसान का आकलन नहीं
पर्यावरणविद् डॉक्टर सीमा जावेद के अनुसार, भारत में गर्मी के कारण बड़े पैमाने पर मौतें हो रही हैं। इससे होने वाली आर्थिक हानि का कोई आकलन नहीं किया गया, लेकिन लोगों की कार्यक्षमता प्रभावित हुई है। खाड़ी क्षेत्रों में भी जलवायु परिवर्तन के कारण बाढ़ का खतरा लगातार बढ़ रहा है। रिपोर्ट के अनुसार, दक्षिण और दक्षिण-पश्चिम एशिया में बाढ़ से कम से कम 214 लोगों की मौत हो गई और सिर्फ संयुक्त अरब अमीरात में 850 मिलियन डॉलर का बीमाकृत नुकसान हुआ। रिपोर्ट में कहा गया है कि पश्चिम, दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया में एक साथ चलने वाली लू से अकेले म्यांमार में 1,500 से अधिक लोगों की मौत हो गई, जबकि गर्मी से होने वाली मौतें बेहद कम रिपोर्ट की गईं।
अभी न चेते तो कभी नहीं : पाओली
संस्थान की वैश्विक एडवोकेसी की प्रमुख मारियाना पाओली कहती हैं कि अगर अभी न चेते तो कभी नहीं हो पाएगा। अब भी पूरी दुनिया इस ओर सतर्कता से काम नहीं कर रही है, जिसका खमियाजा उठाना पड़ सकता है। इसके लिए गंभीर कदम उठाने की मांग तेज हो रही है। खासतौर पर उन देशों के लिए जो कि आर्थिक रूप से कमजोर हैं और संकट से अधिक प्रभावित हो रहे हैं।
नुकसान का आकलन बीमा के आधार पर, वास्तविक आंकड़ा ज्यादा
रिपोर्ट के अनुसार, 41 बिलियन डॉलर का नुकसान कम आंका गया है, क्योंकि यह आकलन बीमा के आधार पर किया गया है। इन आंकड़ों में आपदाओं की वजह से मानव जीवन को होने वाले नुकसान की लागत को पूरी तरह शामिल नहीं किया गया है। ब्राजील में बाढ़ से कम से कम 169 लोगों की मौत हुई थी और कम से कम सात अरब डॉलर की आर्थिक क्षति हुई।
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