इंदौर, अरविंद तिवारी। नरेंद्र मोदी मंत्रिमंडल में मध्य प्रदेश को पर्याप्त प्रतिनिधित्व मिलने के बाद भी चर्चा इस बात की है कि आखिर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा केंद्र में मंत्री क्यों नहीं बन पाए। पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच चर्चा का एक मुद्दा केंद्रीय मंत्रिमंडल से फग्गन सिंह कुलस्ते जैसे वरिष्ठ आदिवासी संसद को बाहर रखने का भी है। सूत्रों के मुताबिक भाजपा के शीर्ष नेतृत्व द्वारा तय फार्मूले के मुताबिक मध्यप्रदेश के 3 सांसदों को कैबिनेट मंत्री के रूप में मौका मिलना था। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए जब शिवराजसिंह चौहान के नाम पर रजामंदी नहीं हो पाई तो उनका केंद्रीय मंत्रिमंडल में लिया जाना तय हो गया। ज्योतिरादित्य सिंधिया प्रधानमंत्री के स्वाभाविक पसंद थे, संघ भी उन्हें मंत्री के रूप में देखना चाहता था, ऐसे में उनको भी मौका मिलना टाइम माना जा रहा था।
तीसरे मंत्री के रूप में वीडी शर्मा का नाम भी लगभग तय था, क्योंकि तीन ही सांसदों को कैबिनेट मंत्री के रूप में स्थान मिलना था, इसलिए वीरेंद्र कुमार और फग्गनसिंह कुलस्ते मंत्री पद की दौड़ में पिछड़ गए थे। शनिवार रात तेजी से बदले घटनाक्रम में वीरेंद्र कुमार को उनकी वरिष्ठता और जातिगत व क्षेत्रीय समीकरण को देखते हुए मंत्रिमंडल में स्थान देना तय हुआ और इसका नुकसान वीडी शर्मा को उठाना पड़ा। वह ऐनवक्त पर मंत्री पद की दौड़ से बाहर हो गए। वीरेंद्र कुमार और वीडी दोनों ही बुंदेलखंड क्षेत्र से हैं और दोनों के संसदीय क्षेत्र भी आसपास ही हैं। कुलस्ते को लेकर पार्टी के बड़े नेताओं की राय शुरू से ही ठीक नहीं थी। पिछले मंत्रिमंडल में उनका परफॉर्मेंस भी नेतृत्व की अपेक्षा के मुताबिक नहीं रहा था। किसी का नुकसान उन्हें उठाना पड़ा और उनके स्थान पर प्रदेश के दो आदिवासी नेताओं को मंत्रिमंडल में स्थान मिल गया। बैतूल के सांसद दुर्गादास उइके साफ-सुथरी छवि वाले नेता माने जाते हैं। वह दूसरी बार चुनाव जीते हैं और पार्टी के निष्ठावान नेताओं में उनकी गिनती होती है। उन्हें मौका देकर महाकौशल का प्रतिनिधित्व भी पूरा किया गया है। मध्यप्रदेश से 6 महिला इस बार लोकसभा के लिए चुनी गईं, इसलिए यह तय माना जा रहा था कि किसी एक महिला को मंत्री पद के लिए मौका मिल सकता है, लेकिन पार्टी नेतृत्व में सावित्री ठाकुर को मौका देकर सबको चौंका दिया। मध्यप्रदेश से संध्या राय और कविता पाटीदार के साथ डॉ भारती पारधी को मंत्री पद का दावेदार माना जा रहा था, लेकिन धार से दूसरी बार चुनी गईं सावित्री ठाकुर को मौका देकर यह संकेत दिया गया है कि धार-झाबुआ और खरगोन जैसे आदिवासी जिलों में पार्टी अपनी पकड़ को और मजबूत करना चाहती है। ठाकुर के नाम पर संघ की भी रजामंदी रही और लो प्रोफाइल नेताओं को आगे बढ़ाने का प्रधानमंत्री का फार्मूला भी काम आया।
वीडी की नई भूमिका पर सबकी नजर
प्रदेश अध्यक्ष के रूप में अपना कार्यकाल पूरा कर चुके वीडी शर्मा की नई भूमिका क्या होगी, इस पर आप सबकी नजर है। मध्य प्रदेश में पार्टी अध्यक्ष के रूप में नए नेता की ताजपोशी जल्दी से होने वाली और ऐसी स्थिति में यह माना जा रहा है कि वीडी पार्टी के केंद्रीय संगठन में बड़ी भूमिका में आ जाएंगे। संघ के नंबर 2 दत्तात्रय होसबोले का वीडी पर वरदहस्त है और इसी कारण मंत्री पद के लिए भी उनका दावा मजबूत माना जा रहा था, लेकिन वहां मौका नहीं मिलने की स्थिति में वे अब पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव बनाए जा सकते हैं।
कुलस्ते को भी संगठन में भेजा जा सकता है
मंत्री पद से वंचित रहे सात बार के सांसद फग्गन सिंह कुलस्ते को भी संगठन में नई भूमिका में देखा जा सकता है। उनकी उपेक्षा से आदिवासी वर्ग में अच्छा संदेश नहीं जाएगा इसीलिए पार्टी उन्हें संगठन में कोई बड़ी भूमिका दे सकती है।
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