उज्जैन। शहर में श्वान पालने के अलावा अब बिल्ली पालने का शौक भी लोगों में बढ़ता जा रहा है। इस बात का अंदाजा जिला अस्पताल में एंटी रैबीज वैक्सीन लगवाने पहुँच रहे पीडि़तों के आंकड़ों से हो रहा है। हालात यह हैं कि यहा हर महीने बिल्ली के काटे हुए 12 से 15 पीडि़त इलाज कराने के लिए आते हैं। इनकी संख्या हर साल धीरे-धीरे बढ़ती जा रही है।
जिला अस्पताल के आंकड़ों पर नजर डाले तो इस साल के बीते पाँच महीनों में करीब 40 लोगों को बिल्लियों ने काटा है। इसमें अधिकांश लोग ऐसे हैं, जो बिल्ली की बाइट या उसके पंजे मारने का शिकार बने हैं। जिला अस्पताल के डॉक्टरों की माने तो उनके पास हॉस्पिटल में हर महीने आवारा श्वान की बाइट मतलब काटने या नोंचने से घायल लगभग 250 पीडि़त एंटी रैबीज की वैक्सीन लगवाने पहुँचते हैं। इसके अलावा कई ऐसे घायल भी होते हैं, जो बन्दर, बिल्ली, घोड़े, चूहे, सूअर के शिकार होते हैं, लेकिन इनमें श्वानों के बाद सबसे ज्यादा संख्या बिल्ली से घायल लोगों की होती है।
साल 2023 में 7 हजार 192 लोगों को श्वानों ने काटा
पिछले साल एक जनवरी 2023 से 31 दिसंबर 2023 तक कुल 7 हजार 192 लोगों को श्वानों ने काटा-नोचा हैं, वहीं बिल्ली ने 126 लोगों को अपना शिकार बनाया हैं। उनमें सबसे ज्यादा महिलाएँ, बच्चे और वृद्ध शामिल हैं। अभी भी हर रोज लगभग 15 घायल शासकीय जिला अस्पताल में एंटी रैबीज की वैक्सीन लगवाने पहुँच रहे हैं।
इनका यह कहना है
आवारा श्वान ही नहीं यदि किसी को बिल्ली, बन्दर, घोड़ा, चूहा, सूअर या कोई भी जानवर यदि काटता है तो डॉक्टर को तुरंत दिखाएँ और एंटी रैबीज वैक्सीन जरूर लगवाएँ। उन्होंने बताया कि बिल्ली के काटने से होने वाला रैबीज सबसे खतरनाक और जानलेवा होता हैं। इसलिए जो लोग श्वान या बिल्ली पालते हैं, उन्हें अपने पालतू जानवरों को एंटी रैबीज इंजेक्शन जरूर लगवाना चाहिए।
डॉ. मुकेश जैन, पशु चिकित्सक उज्जैन
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