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    इन्दौर : फर्जी बिल महाघोटाले में रिमांड पर लाए ठेकेदार कल जाएंगे जेल, ऑडिटरों को भी बनाया जा सकता है आरोपी

  • June 07, 2024

    • आरोपी निगमकर्मी के खातों में 35 लाख और जमा मिले
    • पुलिस ने सम्पत्तियों का ब्योरा भी जुटाया, मुख्यालय भेजे हस्ताक्षरों के नमूनों की जांच रिपोर्ट का भी इंतजार

    इंदौर। निगम के फर्जी बिल महाघोटाले में जिस लेखा शाखा के बाबू को पुलिस ने आरोपी बनाया है, उस राजकुमार साल्वी से जुड़ी फर्मों में 35 लाख रुपए और जमा मिले हैं, उसे भी पुलिस ने जब्त कर लिया है। इसके पूर्व भी ठेकेदार फर्मों के खाते में जमा 75 लाख पुलिस इसी तरह जब्त कर चुकी है। ट्रेंचिंग ग्राउंड के साढ़े 4 करोड़ रुपए से अधिक के घोटाले में लिप्त 3 ठेकेदार फर्मों के कर्ताधर्ताओं को जेल से कोर्ट आदेश पर रिमांड पर लेकर पुलिस ने पूछताछ की, जिसमें उसने अभय राठौर का ही नाम मुख्य मास्टर माइंड के रूप में दोहराया, वहीं कल इन्हें वापस जेल भेज दिया जाएगा। दूसरी तरफ पुलिस मुख्यालय को भेजे हस्ताक्षरों के नमूनों की जांच रिपोर्ट का भी है इंतजार, वहीं निगम भी नई फर्मों और उनमें लिप्त कर्मचारियों के खिलाफ लगातार कार्रवाई कर रहा है। कल भी 52 लाख से अधिक का भुगतान हासिल करने वाली फर्म को ब्लैक लिस्ट करने के साथ दो उपयंत्रियो और अन्य के खिलाफ भी कार्रवाई की गई।

    डीसीपी झोन-3 पंकज पाण्डे से पूछने पर उन्होंने बताया कि हस्ताक्षर के नमूनों का दूसरा सेट भी मुख्यालय को भेज दिया है और वहां से जल्द ही जांच रिपोर्ट मिल जाएगी। वैसे तो अभी तक की पूछताछ में निगम के इंजीनियर अभय राठौर, अन्य कर्मचारियों के साथ-साथ ठेकेदार फर्मों के कर्ताधर्ताओं ने भी किसी भी बड़े अधिकारी का नाम नहीं लिया है और यह भी स्वीकार किया कि जो फर्जी फाइलें बनाई थी, उन पर हस्ताक्षर भी फर्जी ही किए गए। मगर पुलिस को पुख्ता सबूत जुटाना जरूरी है, इसलिए हस्ताक्षरों को नमूनों की जांच कराई जा रही है।


    पांडे के मुताबिक इस मामले में आरोपी बनाए गए निगमकर्मी साल्वी से जुड़ी फर्मों में 35 लाख रुपए और जमा पूछताछ और जांच के चलते मिले हैं, उन्हें भी सीज कर लिया है। साथ ही सभी आरोपियों की सम्पत्तियों की जानकारी भी जुटा ली है। उसका भी पूरा रिकार्ड तैयार किया जा रहा है। दूसरी तरफ पुलिस ने ट्रेंचिंग ग्राउंड के भी एक उजागर हुए घोटाले के मामले में जहां नई एफआईआर तीन ठेकेदार फर्मों और अभय राठौर के खिलाफ दर्ज की उसमें जेल में बंद ठेकेदारों को पूछताछ के लिए रिमांड पर लिया था, जिन्हें कल वापस जेल भेजा जाएगा। हालंकि ठेकेदारों के साथ-साथ राठौर सहित अन्य आरोपी बनाए निगमकर्मियों ने भी अपने पूर्व में दिए बयानों को ही दोहराया है और उसी भी अधिकारी की इस मामले में लिप्तता नहीं बताई तो इसके साथ ही पुलिस द्वारा अभी तक की गई पूछताछ और जांच-पड़ताल में ही अपर आयुक्त से लेकर किसी अन्य बड़े अधिकारी की कोई भी भूमिका सामने नहीं आई है। दूसरी तरफ निगम खुद उन फर्मों के खिलाफ भी कार्रवाई कर रहा है, जिन्होने मेजरमेंट से लेकर अन्य गड़बडिय़ां कर निगम खजाने से अधिक भुगतान हासिल कर लिया है।

    निलम्बन के खिलाफ एक ने कोर्ट ने हासिल भी कर लिया स्टे
    पूर्व में एक महिला ठेकेदार रेणु वडेरा को कोर्ट से जमानत मिल गई तो उसके बाद लेखा विभाग में पदस्थ रहे मुरलीधर की भी कल हाईकोर्ट ने जमानत मंजूर कर ली तो शासन ने आडिट विभाग के चार वरिष्ठ आडिटरों के खिळाफ निलम्बन की कार्रवाई की थी, जिनमें से एक आरोपी सीनियर आडिटर जगजीतसिंह को भी स्टे अपने निलंबन पर मिल गया। हालांकि निगमायुक्त शिवम वर्मा ने शासन को भेजी अपनी रिपोर्ट में इन आडिटरों को भी इस महाघोटाले का दोषी बताया था, मगर शासन ने सिर्फ इन आडिटरों को निलंबित ही किया, इनके खिलाफ ना तो एफआईआर दर्ज कराई और ना ही इनके द्वारा अर्जित की गई अवैध सम्पत्यिों के साथ अन्य कोई जांच कराई गई, जबकि दस्तावेजों के मुतबिक यह पूरा महाघोटाला आडिट और उसके बाद लेखा शाखा के माध्यम से ही अंजाम दिया गया, क्योंकि किसी भी विभाग में यह फाइलें तैयार नहीं हुई, बाहर से फाइलों को तैयार कर सीधे आडिट शाखा में प्रस्तुत किया।

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