नई दिल्ली (New Delhi) । दिल्ली (Delhi) में एक बार फिर भाजपा (BJP) ने अपनी ‘सूपड़ा साफ’ अभियान को जारी रखते हुए सभी सात सीटों पर कब्जा कर लिया। एक दशक से दिल्ली में प्रचंड बहुमत की सरकार चला रही आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) इस बार भी अपना खाता खोलने में नाकाम रही। धुर विरोधी कांग्रेस (Congress) से गठबंधन करके भी उसे सफलता नहीं मिली। एक तरफ पार्टी कथित शराब घोटाले में घिरी है तो दूसरी तरफ उसे हार का भी सामना करना पड़ा है। हालांकि, निराशा के बादलों के बीच पार्टी और इसके मुखिया अरविंद केजरीवाल के लिए एक खुशखबरी भी है।
लोकसभा चुनाव में बढ़ गया पार्टी का समर्थन
कथित शराब घोटाले में आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरिवंद केजरीवाल की गिरफ्तारी और फिर 21 दिनों की जमानत के बाद हुए चुनाव में पार्टी खाता तो नहीं खोल पाई, लेकिन लोकसभा चुनाव में अपना समर्थन बढ़ाने में कामयाब रही है। पार्टी के वोटशेयर में 6 पर्सेंट का बड़ा इजाफा देखने को मिला है। अंतरिम जमानत के दौरान दिल्ली में अपने आक्रामक प्रचार अभियान से केजरीवाल ‘आप’ को दूसरे स्थान पर लाने में कामयाब रहे। 10 साल बाद पार्टी को भाजपा से कम पर कांग्रेस से ज्यादा वोट मिले हैं।
भाजपा को थोड़ा नुकसान, कांग्रेस के लिए बड़ा झटका
मंगलवार को नतीजों की घोषणा के बाद चुनाव आयोग के मुताबिक, वोटशेयर का जो डेटा जारी किया गया, उसमें आप के लिए सबसे ज्यादा खुशखबरी है तो भाजपा के लिए थोड़ी निराशा। वहीं, कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है। भाजपा को 54.35 फीसदी वोट हासिल हुए हैं, जबकि 2019 में पार्टी को 56.9 फीसदी वोट मिले थे।
किसके लिए कितना घाटा-कितना फायदा
आम आदमी पार्टी को इस बार 24.17 फीसदी वोटर्स ने पसंद किया, जबकि 2019 में पार्टी 18.1 फीसदी वोटशेयर पर सिमट गई थी। 2014 में 32.90 फीसदी वोट पाने वाली ‘आप’ के लिए यह बड़ा झटका था। हालांकि, तमाम मुश्किलों के बावजूद पार्टी इस बार ना सिर्फ अपना वोट शेयर बढ़ाने में कामयाब रही, बल्कि दूसरा स्थान भी हासिल किया। इस बीच कांग्रेस के लिए निराशा की खबर है। पार्टी ने अकेले दम पर जहां 2019 में 22.5 फीसदी वोट शेयर किए थे तो आम आदमी पार्टी से गठबंधन के बाद उसे घाटा ही सहना पड़ा है। इस बार कांग्रेस को 18.91 फीसदी ही वोट मिले। पार्टी फिसलकर तीसरे स्थान पर पहुंच गई है।
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