- इस प्रकार की मनमानी में वे प्रायवेट अस्पताल शामिल हैं जिन्होंने समय पर और नि:शुल्क सूचना पुलिस को देंगे के लिए दिया हैं शपथ पत्र
उज्जैन। शहर के निजी अस्पतालों द्वारा एमएलसी के नाम पर अवैध वसूली की जा रही हैं। उनके द्वारा दुर्घटना में घायल व्यक्ति की सूचना संबंधित थाने पर दर्ज कराने के लिए दो से लेकर तीन हजार रुपए तक के बिल थमाए जा रहे हैं। हैरानी की बात यह है कि स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी इस वसूली को अवैध तो बताते हैं, लेकिन आज तक एक भी मामले में कार्रवाई नहीं हुई हैं।
उल्लेखनीय है कि शहर के कई नामी और बड़े निजी अस्पताल मरीजों के परिजन से थाने और कोर्ट खर्च के नाम पर एमएलसी चार्जेस वसूल रहे हैं। जहाँ अस्पताल स्टाफ परिजन को समझाता है कि मामला पुलिस से जुड़ा होने की वजह से डॉक्टर साहब और अस्पताल स्टाफ को बयान देने के लिए कोर्ट और थाने आना-जाना पड़ेगा। यह खर्च उसी का है। जबकि नियमानुसार इस तरह की वसूली का कोई प्रावधान ही नहीं हैं। यह वसूली इस तरह से की जा रही है कि परिजन समझ ही नहीं पाते कि उनसे किस मद में पैसा लिया गया है। अक्सर परिजन को इसकी जानकारी उस वक्त लगती है जब वे मरीज के ठीक होने पर अस्पताल का बिल फायनल करते हैं। बावजूद स्वास्थ्य विभाग कोई कार्रवाई नहीं कर रहा हैं। जबकि दुर्घटना या किसी वारदात में घायल हुए व्यक्ति के इलाज के लिए अस्पताल पहुँचने पर यह अस्पताल प्रबंधन और ड्यूटी डॉक्टर की नैतिक जिम्मेदारी है कि वह इसकी सूचना संबंधित थाने को दे। ताकि पुलिस मामले की जाँच कर सके।