नई दिल्ली। केंद्र सरकार (Central government) ने केंद्रीय कर्मचारियों को ग्रेच्युटी लिमिट बढ़ाने का तोहफा (gift of increasing the gratuity limit) दिया है। 7th Pay Commission की सिफारिशों के अनुसार सरकार ने रिटायर होने वाले कर्मचारियों की ग्रेच्युटी और डेथ ग्रेच्युटी (Gratuity and death gratuity of retiring employees) में 25 फीसदी की बढ़ोतरी कर दी है। इस बढ़ोतरी के बाद यह 20 लाख रुपये से बढ़कर 25 लाख रुपये हो गई है। यह बढ़ोतरी 1 जनवरी 2024 से प्रभावी होगी। यानी 1 जनवरी 2024 के बाद रिटायर होने वाले कर्मचारियों को इसका लाभ मिलेगा। इससे पहले केंद्रीय कर्मचारियों के महंगाई भत्ते (DA) में 4 फीसदी का इजाफा किया गया था। इसके बाद इनका DA बढ़कर 50 फीसदी हो गया था। इससे पहले ग्रेच्युटी की बढ़ोतरी के बारे में पिछले महीने 30 अप्रैल को यही घोषणा की गई थी, लेकिन 7 मई को इस पर रोक लगा दी गई थी।
ग्रेच्युटी में जो बढ़ोतरी हुई है, इसका सीधा संबंध DA से है। दरअसल, श्रम और रोजगार मंत्रालय के अनुसार, पेंशन और पेंशनभोगी कल्याण विभाग, कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा 4 अगस्त 2016 को जारी किए गए ज्ञापन में इस बात का उल्लेख है कि जब भी महंगाई भत्ता मूल वेतन का 50 फीसदी बढ़ता है तो रिटायरमेंट और डेथ ग्रेच्युटी की अधिकतम सीमा 25 फीसदी बढ़ जाएगी। यह उल्लेख ज्ञापन संख्या 38/3712016-पी एंड पीडब्लू (ए) (1) के पैरा 6.2 में किया गया है।
सरकारी या प्राइवेट कंपनियों में जॉब करने वाले लोगों को ग्रेच्युटी दी जाती है। ग्रेच्युटी से मतलब रकम से है। वे कर्मचारी जो किसी कंपनी में कम से कम 5 साल लगातार काम करते हैं, उन्हें कंपनी की ओर से कुछ रकम दी जाती है। यह रकम हर महीने जुड़ती जाती है और रिटायमेंट पर मिलती है। या फिर कोई कर्मचारी 5 साल कंपनी छोड़ देता है तो भी वह ग्रेच्युटी पाने का हकदार हो जाता है। 5 साल से पहले जॉब छोड़ने पर इसका लाभ नहीं मिलता।
इस बात के कयास लगाए जा रहे हैं कि 8वां वेतन आयोग लागू हो सकता है। अगर ऐसा होता है तो केंद्रीय कर्मचारियों की सैलरी में काफी बढ़ोतरी हो जाएगी। हालांकि इस पर अभी सरकार की तरफ से कोई फैसला नहीं आया है। माना जा रहा है कि सरकार लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद जब नई सरकार का गठन होगा तो इस पर कोई फैसला लिया जा सकता है। अभी केंद्रीय कर्मचारियों को 7वें वेतन आयोग के अनुसान सैलरी दी जा रही है। इस आयोग का गठन 2014 में किया गया था। हालांकि इसे साल 2016 में लागू किया गया था। इस आयोग के अनुसार कर्मचारी की न्यूनतम बेसिक सैलरी 26 हजार रुपये हो सकती है।
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