इंदौर। नगर निगम में जहां नेताओं के प_े और कर्मचारियों के रिश्तेदार ठेकेदार बने हैं, वहीं कई विकास कार्यों के टेंडर में 35 से 40 फीसदी घटी दरों पर दर भरकर टेंडर हासिल कर लेते हैं और फिर आधा-अधूरा और घटिया काम करने के साथ फर्जी बिल प्रस्तुत कर देते हैं। निगम के अधिकारी भी घटी दरों पर आए इन टेंडरों को मंजूरी दे देते हैं। पिछले दिनों फर्जी बिल महाघोटाले की जांच के चलते कई ऐसी फर्में सामने आई जिन्होंने इस तरह के घटी दरों पर टेंडर लेकर फर्जीवाड़े किए। वहीं लेखा शाखा ने चार फर्मों की 75 फाइलों को जांच के लिए ड्रैनेज विभाग को सौंपा है, तो अन्य दो फर्मों की भी विस्तृत जानकारी जुटाई जा रही है।
अग्रिबाण ने नगर निगम के इस फर्जी महाघोटाले से जुड़े कई नए तथ्यों को लगातार उजागर किया है, जिसमें यह भी खुलासा हुआ कि मामूली नौकरी करने वालों को भी निगम की इस लूटेरी गैंग ने किस तरह अपने जाल में फांसा और करोड़ों रुपए के भुगतान उनके नाम पर बनाई फर्मों में करवाकर राशि हड़प ली। अब बेचारे पुलिस जांच के अलावा भविष्य में निकलने वाली करोड़ों की देनदारी के अलग शिकार बन गए हैं। वहीं एक और चालाकी घटी दरों पर लेने की सामने आई है। निगम के ही लोक निर्माण और उद्यान विभाग प्रभारी राजेन्द्र राठौर का कहना है कि 35 से 40 फीसदी घटी दरों पर कई फर्मों ने टेंडर लिए और आधे-अधूरे कामों के साथ लीपापोती कर दी। ऐसी ही दो फर्मों मेसर्स अर्थमूवर्स और मेसर्स सरकार की जानकारी निकलवाई जा रही है।
पिछले दिनों वार्ड 79 के शिवशक्ति नगर उद्यान के जीर्णोद्धार के कामका ठेका अर्थमूवर्स ने लिया और इसकी फाइल देखने पर पता चला कि कार्य पूर्ण हुए बिना ही संबंधित उपयंत्री ने कार्यपूर्णता की अनुशंसा के साथ भुगतान के लिए फाइल को लेखा शाखा भिजवा दिया। अर्थमूवर्स और सरकार फर्म ठेकेदार दिनेश वर्मा की बताई गई है और वर्ष 18-19 से लेकर अभी तक इन फर्मों द्वारा किए गए कार्यों की जानकारी तैयार हो रही है। इस तरह की अन्य फर्मों की भी जानकारी श्री राठौर के मुताबिक निकाली जा रही है। वहीं पिछले दिनों ड्रैनेज विभाग ने 170 फाइलों को बोगस माना, जिनके खिलाफ पुलिस ने भी एफआईआर दर्ज की है। वहीं अन्य जो चार फर्मों का और खुलासा हुआ था, जिनमें अल्फा, मेट्रो, मातोश्री और एनएनएंडए के नाम शामिल हैं, उनसे जुड़ी 75 फाइलों का भी परीक्षण लेखा शाखा द्वारा कराया जा रहा है और ये फाइलें ड्रैनेज विभाग को भिजवाई गई है। दूसरी तरफ लगातार इस तरह की फर्जी फाइलों और उनमें हुए भुगतान की जानकारियां सामने आ रही है, जिसमें 8 साल पहले की भी 100 से अधिक ऐसी फाइलें हैं जिनमें 30 से 35 करोड़ रुपए के काम हुए हैं। दूसरी तरफ कई ठेकेदार और फर्मों के कर्ताधर्ता फरार हैं, जिनकी तलाश पुलिस कर रही है, तो दूसरी तरफ साइबर क्राइम से जुड़े शातिरों ने इस घोटाले से जुड़े लोगों को थाना प्रभारी के नाम से फर्जी कॉल लगाना भी शुरू कर दिए, जिसके चलते असल थाना प्रभारी विजयसिंह सिसोदिया को वरिष्ठ अधिकारियों को जानकारी देना पड़ी।
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