बेंगलुरु (Bengaluru)। लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections) के दौरान राजनीतिक दलों (Political parties) ने एक से एक लोकलुभावन वादे (Populist promises.) किए हैं। वहीं लोगों के बीच कई तरह की अफवाहें भी फैल गई हैं। इसी बीच बेंगलुरु के जनरल पोस्ट ऑफिस (General Post Office.-GPO) पर इन दिनों महिलाओं की भीड़ देखी जा रही है। रोज इतनी महिलाएं नया खाता खुलवाने पहुंच रही हैं कि भीड़ को नियंत्रित करना मुश्किल हो गया। वहीं डाक विभाग को अतिरिक्त कर्मचारियों को तैनात करना पड़ गया।
जानकारी के मुताबिक कुछ राजनेताओं ने वादा किया था कि वे महिलाओं के आईपीबी खाते में हर महीने 2 हजार रुपये जमा करवाएंगे। इसी बीच एक अफवाह फैली की डाकखाने की तरफ से महिलाओं के आईपीबी खाते पर 8 हजार रुपये भेजे जा रहे हैं। इसकी आखिरी तारीख भी सोमवार की बताई गई। इसके बाद पोस्ट ऑफिस में महिलाओं की भीड़ जुटनी शुरू हो गई।
डाक विभाग ने बताया कि लोगों का कहना है कि उन्हें वॉट्सऐप और लोकल न्यूज से जानकारी मिली है को उनके खातों में आठ हजार रुपये की राशि जमा करवाई जाएगी। डाक विभाग ने यह प्रक्रिया शुरू भी की है। जीपीओ के हेड पोस्टमास्टर के मुताबिक यह सूचना पूरी तरह से अफवाह है। लोगों को जागरूक करने के लिए पोस्ट ऑफिस के बाहर पोस्टर भी लगवाए गए हैं। इसके बावजूद भीड़ कम होने का नाम नहीं ले रही है। कई लोग अपने रिश्तेदारों के साथ जीपीओ पहुंच रहे हैं।
डाक विभाग की ओर से स्पष्ट किया गया है कि पोस्ट ऑफिस ऐसी कोई योजना नहीं चला रहा है जिसके तहत किसी के भी खाते में आठ हजार रुपये जमा किए जा रहे हों। जीपीओ के एक अधिकारी के मुताबिक जहां रोजाना 100 से 200 खाते खले जा रहे थे वहीं अब एक व्यक्ति के पास ही 700 से 800 खाते खोलने का काम है। भीड़ के चलते जीपीओ के कामकाज में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। वहीं लोगों का कहना है कि स्कीम की आखिरी तारीख आने वाली है।
डाकखाने का आलम यह है की भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस फोर्स लगानी पड़ गई। वहीं अब यहां रोज लगभग 1500 खाते खोले जा रहे हैं। डाकखाने ने क्लियर किया है कि उन खातों में वही रकम आएगी जो डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर स्कीम के जरिए जमा करवाई जाएगी। इसके तहत डाकखाने की तरफ से कोई राशि खातों में नहीं जमा करवाई जाएगी। जीपीओ पहुंचने वाले लोगों को खाता खुलवाने के लिए टोकन दिया जाता है। इतनी भीषण गर्मी में भी लोग इंतजार करने को तैयार हैं। वहीं कई लोगों को शाम को लौटना पड़ता है और अगली सुबह फिर कतार में लगना पड़ता है।
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