नई दिल्ली. इजरायल (Israel) से जारी जंग के बीच हमास (Hamas) ने समझौते (Agreements) की पेशकश की है. हमास ने गुरुवार को कहा कि अगर इजरायली सेना गाजा (Gaza) में जंग रोक देती है तो वे बंधकों (Hostages) की अदला-बदली से जुड़ी डील को अमलीजामा पहनाने के लिए तैयार हैं.
हमास ने कहा कि हमारे लोगों के खिलाफ जारी आक्रामकता, घेराबंदी, भुखमरी और नरसंहार के बीच सीजफायर की बातचीत नहीं हो सकती. अगर इजरायल, गाजा में जंग रोक देता है तो वो एक समझौता करने के लिए तैयार है, जिसमें होस्टेज एक्सचेंज डील भी शामिल है.
इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट चर्चा में क्यों?
हालांकि, इससे पहले हमास ने जो भी पेशकश की थी, इजरायल ने उसे ठुकरा दिया था. इजरायल का कहना है कि रफाह शहर में हमला करने का मकसद बंधकों को छुड़ाने और हमास लड़ाकों को जड़ से खत्म करना है. मंगलवार को ही इजरायल ने कहा था कि गाजा में हमास के खिलाफ उसकी जंग पूरे साल जारी रहेगी.
6 मई से रफाह में जारी है ऑपरेशन
इससे पहले अंतरराष्ट्रीय कोर्ट ने इजरायल से रफाह शहर में हमले रोकने को कहा था, लेकिन इसके बावजूद मंगलवार को पहली बार इजरायली सेना के टैंक रफाह में घुस गए थे.
7 अक्टूबर को हमास से जंग शुरू होने के सात महीने बाद इजरायली सेना ने 6 मई को रफाह में ऑपरेशन शुरू किया था. 27 मई को इजरायल ने रफाह के एक राहत कैंप पर बमबारी की थी. इस हमले में हमास ने 45 नागरिकों के मारे जाने का दावा किया था. इस हमले की जब दुनियाभर में आलोचना हुई तो बेंजामिन नेतन्याहू ने इसे त्रासद दुर्घटना माना था.
हालांकि, इस हमले के तुरंत बाद आईडीएफ ने दावा किया था कि उन्होंने हमास के ठिकाने को निशाना बनाया था. इस हमले में आईडीएफ ने हमास के दो टॉप कमांडर- यासिन राबिया और खालेद नज्जर को मार गिराने का दावा किया था.
7 अक्टूबर से जारी है जंग
पिछले साल 7 अक्टूबर को हमास ने इजरायल पर पांच हजार रॉकेट दागे थे. इसके साथ ही हमास के लड़ाके दक्षिणी इजरायल में घुस आए थे और लगभग 250 लोगों को बंधक बना लिया था. हमास के इस हमले में करीब 1200 लोग मारे गए थे. इसके बाद इजरायल ने हमास के खिलाफ जंग शुरू कर दी थी.
कुछ महीनों पहले इजरायल और हमास के बीच हुई सीजफायर डील में कई बंधकों को छोड़ दिया गया था. लेकिन अब भी दर्जनों बंधक हमास के कब्जे में है. इजरायली पीएम नेतन्याहू का साफ कहना है कि जब तक हमास का खात्मा नहीं होता, तब तक जंग जारी रहेगी. इजरायल और हमास में जारी जंग में लगभग आठ महीनों में 37 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. जबकि, लाखों लोग शरणार्थियों की तरह जीवन जीने को मजबूर हैं और राहत कैंपों में रह रहे हैं.
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