नई दिल्ली(New Delhi) । भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party)के फायरब्रांड नेता और असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा (Assam Chief Minister Himanta Biswa Sarma)ने कहा है कि मुसलमानों (Muslims)को काशी के ज्ञानवापी मस्जिद(Gyanvapi Mosque) और मथुरा (Mathura)में शाही ईदगाह (Shahi Idgah)पर दावा करना छोड़ देना चाहिए। इन जगहों को हिंदुओं के लिए छोड़ देना चाहिए। ऐसा करने से इस्लामोफोबिया खत्म हो जाएगी। साथ ही उन्होंने यह भी दावा किया कि तथाकथित धर्मनिरपेक्ष बुद्धिजीवी इसका मुकाबला नहीं कर पाएंगे।
एक मीडिया को दिए इंटरव्यू में सरमा ने कहा, “यदि आप मथुरा में शाही ईदगाह बनाना जारी रखते हैं तो वहां जाने वाले हिंदू स्वाभाविक रूप से नाराज होंगे। उन्हें शाही ईदगाह को किसी अन्य स्थान पर ले जाना चाहिए। इसके बाद जब कोई हिंदू मथुरा आएगा तो वह मुस्लिम समुदाय के प्रति कृतज्ञता के साथ वापस अपने घर आएगा।”
मस्जिद को बलपूर्वक हटाया नहीं जाएगा
सरमा ने यह भी कहा कि मस्जिद को बलपूर्वक नहीं हटाया जा सकता है, बल्कि हिंदुओं और मुसलमानों के बीच परामर्श के माध्यम से ही संभव यह हो सकता है।
असम के सीएम ने कहा, “अब मोदीजी काशी कॉरिडोर का निर्माण कर रहे हैं। हर कोई वहां जाता है। जो भी काशी जाता है वह ज्ञानवापी मस्जिद देखता है। लोग सवाल पूछते हैं और वे गुस्से में वापस आते हैं। अगर मस्जिद को जबरन नहीं बल्कि आपसी सलाह-मशविरे से दूसरी जगह ले जाया जा सकता है, तो स्थिति अलग होगी।”
इस्लामोफोबिया हममें से कई लोगों के लिए वास्तविक
उन्होंने कहा, “इस्लामोफोबिया हममें से कई लोगों के लिए वास्तविक है। क्योंकि हमारे देश में मुसलमानों के कुछ वर्ग बहुसंख्यक समुदाय से नफरत करते हैं। असम में मैंने मुस्लिम समुदाय के एक बड़े हिस्से को हिंदू विरोधी से हिंदुओं के साथ रहने वाले लोगों में बदल दिया है। असम में कई जगहों पर परिवर्तन हुआ है। यही कारण है कि लव जिहाद की घटनाओं में कमी आई है, जमीन हड़पने की घटनाओं में कमी आई है।”
उन्होंने कहा, “मुसलमानों को समान नागरिक संहिता को स्वीकार करने दें। इसके अलावा मुस्लिम मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि को स्वीकार करें। ज्ञानवापी मंदिर को स्वीकार करें। इससे चीजें बदल जाएंगी। इससे हिंदुओं में इस्लामोफोबिया कम होगा।”
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