नई दिल्ली (New Delhi)। कर्ज संकट में फंसी एयरलाइन स्पाइसजेट (Airline SpiceJet) की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। दरअसल, विमानों का इंजन (Aircraft engines) मुहैया कराने वाली कंपनी इंजन लीज फाइनेंस (ईएलएफ) (Engine Lease Finance – ELF). ने करीब 100 करोड़ रुपये की देनदारी (Liabilities of Rs 100 crore) के मामले में एयरलाइन के खिलाफ दिवाला अर्जी दाखिल की है। बता दें कि ईएलएफ ने स्पाइसजेट को आठ विमान इंजन पट्टे पर दिए हुए हैं। उसने दावा किया है कि स्पाइसजेट पर किराये एवं ब्याज समेत करीब 1.6 करोड़ डॉलर की देनदारी बनती है।
राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) (National Company Law Tribunal (NCLT) की दिल्ली पीठ ने बुधवार को इस याचिका पर संक्षिप्त सुनवाई की। इस दौरान स्पाइसजेट के वकील ने याचिका पर अपना पक्ष रखने के लिए समय देने की गुहार लगाई। इस पर महेंद्र खंडेलवाल और संजीव रंजन की पीठ ने स्पाइसजेट को याचिका पर अपना जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया।
कब से नहीं हो रहा भुगतान
आयरलैंड के शैनन में स्थित ईएलएफ विमान इंजन का वित्तपोषण करने और पट्टे पर देने वाली अग्रणी कंपनी है। ईएलएफ ने वर्ष 2017 में स्पाइसजेट को इंजन पट्टे पर देने का समझौता किया था। स्पाइसजेट अप्रैल, 2021 से ही समय पर भुगतान नहीं कर रही है।
शेयर का हाल
स्पाइसजेट के शेयर की बात करें तो इसकी कीमत 57.19 रुपये पर है। बीते कारोबारी दिन बुधवार को यह शेयर मामूली गिरावट के साथ बंद हुआ। बता दें कि शेयर के 52 हफ्ते का हाई 77.50 रुपये है। वहीं, 52 हफ्ते का लो 25.50 रुपये है।
1,323 करोड़ रुपये हर्जाने की मांग
हाल ही में केएएल एयरवेज और कलानिधि मारन ने कहा है कि वे स्पाइसजेट और उसके प्रमुख अजय सिंह से 1,323 करोड़ रुपये से अधिक का हर्जाना मांगेंगे। साथ ही दोनों पक्षों के बीच जारी विवाद मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय के हाल के आदेश को चुनौती देंगे।
हालांकि, स्पाइसजेट ने कहा कि वह केएएल एयरवेज और मारन द्वारा 1,323 करोड़ रुपये का हर्जाना मांगने के दावों का दृढ़ता से खंडन करता है। कंपनी ने कहा- इन दावों का कोई कानूनी औचित्य नहीं है। वे मध्यस्थ न्यायाधिकरण और फिर दिल्ली उच्च न्यायालय द्वारा पहले ही खारिज किए गए दावों को दोहरा रहे हैं।
कब का है मामला
मामला 2015 शुरुआत का है जब अजय सिंह (जो पहले एयरलाइन के मालिक थे) ने संसाधन की कमी के कारण महीनों तक बंद रहने के बाद इसे मारन से वापस खरीद लिया था। समझौते के तहत मारन और केएएल एयरवेज ने स्पाइसजेट को वारंट और तरजीही शेयर जारी करने के लिए 679 करोड़ रुपये का भुगतान करने का दावा किया था। हालांकि, मारन ने 2017 में दिल्ली उच्च न्यायालय का रुख किया और आरोप लगाया कि स्पाइसजेट ने परिवर्तनीय वारंट और तरजीही शेयर जारी नहीं किए और न ही पैसे वापस किए।
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