लखनऊ (Lucknow)। यूपी (UP) में लोकसभा चुनाव (Lok Sabha elections) के अन्तिम चरण की सलेमपुर लोकसभा सीट (Salempur Lok Sabha seat) पर जीत के लिए भाजपा (BJP) को पूरे 64 साल लग गए। भाजपा (BJP) इस सीट पर पहली बार 2014 के मोदी लहर में जीती थी, जिस उसने 2019 के संसदीय चुनाव में बरकरार रखा। इस बार उसके सामने इस सीट पर हैट्रिक लगाने की चुनौती है। इस संसदीय सीट पर 1971 के लोकसभा चुनाव तक कांग्रेस का अनवरत कब्जा रहा। इसके बाद 1977 के चुनाव में यहां से जनता पार्टी विजयी हुई। इसके बाद हुए 1980 एवं 1984 के दो चुनावों में कांग्रेस ने फिर से अपनी जीत दर्ज की लेकिन उसके बाद कांग्रेस के लिए इस लोकसभा क्षेत्र पर जीत के लाले पड़ गए। 1989 से इस सीट पर कभी जनता दल तो कभी सपा। कभी समता पार्टी तो कभी बसपा का कब्जा होता रहा है।
2014 में पहली बार भाजपा का इस सीट पर खाता खुला और पार्टी ने 2019 में भी इस संसदीय क्षेत्र पर अपना कब्जा बरकार रखा। सलेमपुर संसदीय क्षेत्र का चुनावी इतिहास देखें तो आजादी के बाद हुए पहले चुनाव से 1971 में हुए लोकसभा चुनाव तक इस सीट पर कांग्रेस का कब्जा रहा। 1951 एवं 1957 में इस सीट से कांग्रेस के विश्वनाथ राय सांसद बने जबकि 1962 एवं 1967 के चुनाव में यहां से कांग्रेस के ही विश्वनाथ पाण्डे विजयी हुए। इसके बाद 1971 के आम चुनाव में भी कांग्रेस उम्मीदवार तारकेश्वर पाण्डे ने जीत दर्ज की।
40 सालों से इस सीट पर जीत नहीं सकी है कांग्रेस
आपातकाल के बाद देश में 1977 में आम चुनाव हुए, जिसमें इस निर्वाचन क्षेत्र से पहली बार विपक्षी प्रत्याशी जनता पार्टी के राम नरेश कुशवाहा ने जीत दर्ज की लेकिन यह जीत अगले चुनाव में विपक्ष बरकरार नहीं रख सका। 1980 के चुनाव में फिर से कांग्रेस ने इस संसदीय क्षेत्र पर कब्जा कर लिया। कांग्रेस के राम नगीना मिश्र इस सीट से चुनाव जीत गए। श्री मिश्र ने इसके बाद 1984 में हुए लोकसभा चुनाव में भी अपनी जीत को बरकरार रखा।
इसके बाद अब तक कांग्रेस इस सीट पर जीत को तरस रही है क्योंकि 1984 के बाद यह सीट हमेशा विपक्ष के पास रही है। वर्ष 1989 और 1991 में यहाँ से जनतादल विजय रहा था। दोनों ही चुनाव में जद के हरिकेवल प्रसाद यहां से विजयी हुए थे। वर्ष 1996 में यह सीट समाजवादी पार्टी के पास चली गई। सपा के हरिवंश सहाय यहां से जीत गए लेकिन इसके बाद 1998 में हुए अगले संसदीय चुनाव में समता पार्टी यहां से विजयी हुई।
समता पार्टी के हरिकेवल यहां से जीते लेकिन तत्काल बाद 1999 में हुए चुनाव में बसपा ने सलेमपुर सीट पर कब्जा कर लिया। बसपा के बब्बन राजभर यहां से चुनाव जीते। 2004 के चुनाव में समाजवादी पार्टी के हरिकेवल प्रसाद यहां से जीते जबकि 2009 के आम चुनाव में इस सीट पर बसपा के रमाशंकर राजभर विजयी हुए। भाजपा के खाते में यह सीट 2014 में यानि 64 साल बाद आई। भाजपा के रविन्द्र कुशवाहा ने यहां से जीत दर्ज की और उसके बाद 2019 में हुए चुनाव में भी अपनी यह जीत बरकरार रखी। उस चुनाव में रविन्द्र कुशवाहा ने बसपा के रामशंकर राजभर को 1,12,615 मतों से पराजित किया था। उस चुनाव में कांग्रेस को मात्र 2.96 प्रतिशत वोट ही हासिल हो सके थे।
भाजपा के सामने जीत बरकरार रखने की चुनौती
2014 के बाद 2019 में भी जीत दर्ज कराने के बाद अब भाजपा के रविन्द्र कुशवाहा के सामने जीत बरकरार रखने और हैट्रिक लगाने की बड़ी चुनौती है। 2024 के इस चुनाव में रविन्द्र कुशवाहा के सामने सपा से रामशंकर राजभर ,बसपा से भीम राजभर प्रमुख उम्मीदवार है। चूंकि सलेमपुर लोकसभा क्षेत्र कुर्मी और राजभर बाहुल्य है लिहाजा इस बार सभी के लिए संघर्ष कड़ा है।
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