भोपाल । मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ (Former Madhya Pradesh Chief Minister Kamal Nath) ने कहा कि मध्य प्रदेश में (In Madhya Pradesh) दलित होना (Being a Dalit) गुनाह हो गया है (Has become a Crime) । मध्य प्रदेश के सागर जिले में दलित की हत्या और उसके बाद युवती की एंबुलेंस से गिरकर हुई मौत के मामले में कमल नाथ ने प्रदेश की मोहन सरकार को घेरा है। कमल नाथ का आरोप है कि मध्य प्रदेश में दलित होना गुनाह हो गया है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमल नाथ ने एक्स पर लिखा, “मध्यप्रदेश के सागर जिले के ग्राम बरोदिया नोनागिर में दलित युवती अंजना अहिरवार द्वारा छेड़छाड़ की शिकायत से खिन्न गुंडों ने युवती के भाई नितिन अहिरवार की पिछले वर्ष अगस्त माह में हत्या कर दी थी। हत्या में बीजेपी नेताओं की संलिप्तता सामने आई थी। हत्या के बाद पीड़ित परिवार पर समझौते के लिए लगातार दबाव बनाया जा रहा था। पीड़ित परिवार समझौते के लिये तैयार नहीं हुआ तो दो दिन पूर्व पीड़िता के चाचा राजेंद्र अहिरवार की भी हत्या कर दी गई।”
कमल नाथ ने आगे कहा, जब पीड़ित युवती के चाचा का पोस्टमार्टम कराकर शव को वापस ले जाया जा रहा था, तब रास्ते में पीड़िता अंजना अहिरवार संदिग्ध परिस्थितियों में एंबुलेंस से गिर गई और उसकी भी मृत्यु हो गई। मैं यह सुनकर स्तब्ध हूं कि किस तरह नौ महीने के भीतर एक दलित बेटी की छेड़छाड़ की शिकायत पर पहले उसके भाई की हत्या, फिर उसके चाचा की हत्या और फिर संदिग्ध परिस्थितियों में उस बेटी की भी मौत हो गई।
उन्होंने कहा, पीड़िता के भाई की हत्या के बाद प्रशासन ने पीड़िता को नौकरी और सुरक्षा समेत कई आश्वासन दिये थे, उनमें से कुछ भी पूरे नहीं किये गये। अंजना को नौकरी नहीं मिली, घर से सुरक्षा हटा दी गई, सीसीटीवी के केबल काट दिये गये। राजीनामा के लिये बार बार दबाव बनाया गया। पीड़ित बेटी ने थाने में शिकायत भी की, परन्तु कोई कार्रवाई नहीं की गई। क्या मध्यप्रदेश में अब दलित होना गुनाह हो गया है? क्या एक पूरे दलित परिवार को खत्म करने वाले बीजेपी संरक्षित आरोपियों को सजा मिलेगी? क्या मुख्यमंत्री इस परिवार के बचे हुए सदस्यों का जीवित बचना सुरक्षित करेंगे ?
प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष जीतू पटवारी ने कहा, सागर और गुना की घटना ने प्रदेश को फिर से कलंकित किया है। पता नहीं आप कौन-से प्रदेश के मुख्यमंत्री और गृहमंत्री हैं, क्योंकि मध्यप्रदेश में तो दोनों की ही उपस्थिति दिखाई नहीं देती । यदि गृह मंत्रालय नहीं संभाल पा रहे हैं, तो छोड़ क्यों नहीं देते ? आपकी जिद जनता की जान लेने पर उतारू है!
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