अब इस पुरास्थल पर मंदिर की खोज को सबसे अहम माना जा रहा है. यह मंदिर पत्थर का बना हुआ है. वहां वेदी के भी कुछ अवशेष मिले हैं. इससे स्पष्ट संकेत मिलता है कि अल फा इलाके के लोग पूजा और अनुष्ठान करते थे. पुरातत्व विभाग ने बताया कि यह पुरातात्विक स्थल नियोलिथिक या नवपाषाण काल का है. यहां पर एक पत्थर की वेदी और विभिन्न समयों की 2807 कब्रें भी मिली हैं. ये कब्रें 6 अलग-अलग समूहों में वर्गीकृत है. टीम ने बताया कि इस मंदिर को चट्टान काटकर बनाया गया है. यह मंदिर अल फा इलाके के पास तुवाईक पर्वत के किनारे पर बनाया गया. इसे खशेम करियाह के नाम से भी जाना जाता है. यहां लोग पूजा करते थे.
सऊदी के विशेषज्ञों ने इस पुरास्थल की खोज के लिए एक अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया था. उन्होंने ड्रोन, रिमोट सेंसिंग, जमीन आधारित रडार, लेजर स्कैनिंग, और जियोफिजिकल सर्वे भी किया था. बताया जाता है कि अल फा के लोग कहल देवता की पूजा करते थे. यहां पर इमारतों को इस हिसाब से बनाया गया था, जिससे भीषण गर्मी और रेगिस्तानी वातावरण में भी यह आसानी से बना रहे. यहां पानी के कुछ कुंड और सैकड़ों गड्ढे भी बनाए गए हैं. यह खोज दर्शाती है कि नवपाषाण काल में सऊदी अरब में मंदिर संस्कृति थीं और यहां मूर्ति पूजा भी होती थी.
वर्तमान में सऊदी अरब एक इस्लामिक मुल्क बन चुका है, सऊदी अरब में अब एक भी मंदिर नहीं है. इसके बनाने पर भी यहां रोक है. सऊदी अरब में रहने वाले हिंदू अपने घरों के अंदर ही पूजा कर सकते हैं. सऊदी में बेशक मंदिर पर रोक है, लेकिन यूएई के आबूधाबी में एक भव्य हिंदू मंदिर बनाया गया है, जिसका उद्घाटन भी पीएम मोदी ने किया था. मंदिर के लिए जमीन भी वहां की सरकार ने दी थी.