बीजिंग: रूस (Russia) ने दो साल पहले यूक्रेन (ukraine) पर हमला किया था। रूसी सेना के यूक्रेन की सीमा पर पहुंचने से पहले उसकी ओर से एक साइबर हमले (cyber attacks) को अंजाम दिया गया था, जिसने सैटेलाइट कम्युनिकेशन नेटवर्क (satellite communication network) से जुड़े इंटरनेट को पंगु बना दिया था। सीएनएन (CNN) की रिपोर्ट के मुताबिक, पश्चिमी सरकारों का कहना है कि फरवरी 2022 में जमीनी हमले शुरू होने से एक घंटे पहले रूस के तकनीकी आक्रमण का उद्देश्य यूक्रेनी कमान और नियंत्रण को बाधित करना था। कम्युनिकेशन सैटेलाइट से जुड़े मॉडेम पर हमला का ये असर हुआ कि यूक्रेन को ऑनलाइन होने के दूसरे तरीके तलाश करने पड़े। सरकारों और सुरक्षा विश्लेषकों का कहना है कि सैटेलाइट के जरिए सेनाओं को सैनिकों की स्थिति और हथियारों को लॉन्च करने का पता लगाने में मदद मिलती है।
रिपोर्ट के मुताबिक, जैसे-जैसे सैटेलाइट कॉन्सटेलेशन का निर्माण हो रहा है। सरकारें ऐसी तकनीक के लिए प्रतिस्पर्धा कर रही हैं, जो ना केवल जमीन पर बल्कि अंतरिक्ष में भी विरोधियों को नुकसान कर सकें, जैसा कि रूस ने किया। विश्लेषकों का कहना है कि इस तरह की काउंटरस्पेस तकनीक पर अमेरिका, रूस और चीन जैसे दुनिया के ताकतवार देश खासतौर से ध्यान दे रहे हैं। काउंटरस्पेस हथियार को लेकर इस साल की शुरुआत में अमेरिका ने दावा किया था कि रूस एक एंटी-सैटेलाइट परमाणु हथियार विकसित करने का प्रयास कर रहा है। हालांकि रूस ने इस दावे का खंडन किया था।
रूस, चीन और अमेरिका में प्रतिस्पर्धा
अमेरिका ने रूस पर एक सैटेलाइट लॉन्च करने का आरोप लगाया, जो पृथ्वी की कक्षा में दूसरों पर हमला करने में सक्षम है। अमेरिकी अधिकारियों ने कहा कि यह 2019 और 2022 में संभावित काउंटरस्पेस सिस्टम के पहले रूसी सैटेलाइट लॉन्च का ही अनुसरण करता है। देशों की काउंटरस्पेस क्षमताओं के विकास पर नजर रखना मुश्किल है लेकिन विशेषज्ञों और ओपन-सोर्स रिपोर्टों के अनुसार, रूस और चीन दोनों ने हाल के वर्षों में ऐसी तकनीक को आगे बढ़ाया है, जबकि अमेरिका संबंधित अंतरिक्ष अनुसंधान और क्षमताओं पर काम कर रहा है। अंतरिक्ष पर ध्यान केंद्रित करने के एक नए युग के बीच काउंटरस्पेस तकनीक का विकास चल रहा है।
अंतरिक्ष पर लक्षित या तैनात किए गए हथियारों का विचार विवादित जरूर है लेकिन नया नहीं है। दशकों पहले, अमेरिका और सोवियत संघ ने एक-दूसरे की सैटेलाइट को मात देने के लिए तकनीक बनाई थीं। विश्लेषकों का कहना है कि सोवियत संघ के पतन के बाद पृथ्वी पर सैन्य अभियानों के संचालन से जुड़ी अंतरिक्ष में क्षमताओं के मामले में अमेरिका एक प्रमुख शक्ति बन गया है।
दिल्ली में ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन में सुरक्षा, रणनीति और प्रौद्योगिकी केंद्र के निदेशक पिल्लई राजगोपाल का कहना है कि एंटी-सैटेलाइट हथियारों जैसी काउंटरस्पेस क्षमताओं का विकास आपके प्रतिद्वंद्वी की अंतरिक्ष-आधारित क्षमताओं को बाधित करने में मदद देती है। सैन्य संघर्ष में अंतरिक्ष के उपयोग से अमेरिका को होने वाले किसी भी लाभ से इनकार करना ही रूस और चीन को उनकी क्षमता विकास और रणनीतियों के मामले में प्रेरित कर रहा है।
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