इस्लामाबाद: पाकिस्तान (Pakistan) इन दिनों अपनी फौज को गाजा पट्टी (Gaza Strip) में तैनात करने के प्लान पर काम कर रहा है। इस काम के लिए पाकिस्तानी हुक्मरान सऊदी अरब (Saudi Arabia) की शरण में हैं। पाकिस्तान को उम्मीद है कि गाजा में पाक फौज (Pak army) की तैनाती से उसे एक और अंतरराष्ट्रीय ठेका मिलेगा, जिससे वैश्विक उपस्थिति मजबूत होगी। वहीं, सऊदी अरब के बैनर तले पाकिस्तानी फौज की तैनाती से दोनों देशों के रिश्तों में भी सुधार होने की उम्मीद है। पाकिस्तानी फौज संयुक्त राष्ट्र शांति सेना में पहले से ही योगदान देती रही है। पाकिस्तानी फौज इन दिनों यूक्रेन को भी बड़ी मात्रा में गोला-बारूद सप्लाई कर रही है। ये गोला-बारूद ब्रिटेन के रास्ते यूक्रेन जा रहे हैं। इसके लिए पाकिस्तानी सेना के अंतर्गत काम करने वाली ऑर्डिनेंस फैक्ट्रियां दिन-रात काम कर रही हैं।
स्वतंत्र विदेश नीति चला रही पाक फौज
पाकिस्तानी डिफेंस एक्सपर्ट वजाहत खान ने बताया कि पाक फौज एक स्वतंत्र शैडो विदेश नीति संचालित कर रही है। इस पर न तो पाकिस्तानी संसद का नियंत्रण है और ना ही सरकार का। यही कारण है कि पाकिस्तानी आर्मी चीफ जनरल असीम मुनीर गाजा पट्टी में अपनी सेना की तैनाती को लेकर सीधे सऊदी अरब से बात कर रहे हैं। इससे पाकिस्तान फौज को दूसरे देशों के साथ अपने संबंधों को मजबूत करने में मदद मिल रही है, बल्कि वह देश से इतर एक स्वतंत्र विदेश नीति चलाने में भी सक्षम है। पाकिस्तानी फौज की इस स्वतंत्र विदेश नीति का फायदा कई बार वहां की सरकार ने भी उठाया है। इसका एक उदाहरण इमरान खान के कार्यकाल में नाराज सऊदी अरब को मनाने में तत्कालीन सेना प्रमुख जनरल बाजवा की भूमिका से समझा जा सकता है।
फूड, सप्लाई तक सीमित रहेगी पाक फौज
ब्रिटेन के किंग्स कॉलेज में सीनियर फेलो आएशा सिद्धीका ने कहा, “पाकिस्तान ने सऊदी अरब के साथ गाजा में एक पीसकीपिंग मिशन के लिए जाने का जो इरादा किया है, इसके दो पहलू हैं। पहला- इंटरनेशनल कम्यूनिटी गाजा में जो हो रहा है, उसे लेकर बहुत चिंतित है। सभी मुसलमान मुल्क और अरब मुल्क चिंतित हैं। ऐसे में यह बात चल रही थी कि एक इंटरनेशनल सिक्योरिटी फोर्स गाजा भेजी जाए। पाकिस्तानी सेना ने एक ब्रिगेडियर को इस काम के लिए नियुक्त भी कर दिया है। हालांकि, पाकिस्तान की फौजी ऑपरेशन सिर्फ फूड, सप्लाई तक ही सीमित रहेगी। गाजा के रिबिल्डिंग के काम में यह नहीं जाएंगे, क्योंकि इसके लिए पाक फौज को इंजीनियरिंग का सामान ले जाना पड़ेगा और इसका खर्च काफी ज्यादा होगा। पाकिस्तान एक्टिव कॉन्फ्लिक्ट में हिस्सा नहीं लेगा।”
फौज के लिए रबर स्टैम्प बनी शहबाज सरकार
वजाहत ने पूछा कि पाकिस्तानी फौज को गाजा में तैनात करने का निर्णय संसद में नहीं लिया गया। किसी हुक्मरान से चर्चा नहीं की गई। ऐसे में यह कौन निर्णय लेता है कि फौज को कहां तैनात करना है। इस पर आएशा सिद्धीका ने कहा, “पाकिस्तान में 2018 के बाद से स्थिति बदल गई है। नई सरकार में यह और ज्यादा हो गया है कि सेना खुद के फैसले लेती है और संसद या सरकार से कुछ नहीं पूछती। जब बोस्निया में गृह युद्ध हो रहा था, तब भी पाकिस्तान फौज संयुक्त राष्ट्र शांति सेना के बैनर तले वहां गई थी। जाहिर है कि हालात उस समय कुछ और थे, लेकिन इस समय भी हालात उससे काफी अलग हैं। मंजूरी भले ही सरकार दे, लेकिन फैसला पूरी तरह से सेना का अपना होगा।”
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