इंदौर। गत वर्ष भी जमीनी कारोबार से ही मध्यप्रदेश शासन को तगड़ी कमाई हुई थी, जिसमें इंदौर पंजीयन विभाग का योगदान सर्वाधिक 2415 करोड़ रुपए का रहा था। यहां तक कि शराब ठेकों, परिवहन व अन्य विभागों से अधिक कमाई पंजीयन विभाग की रही। इस चालू वित्त वर्ष में इंदौर जिले को महानिरीक्षक पंजीयन ने 21 फीसदी अधिक का लक्ष्य थमा दिया, जो कि 2925 करोड़ होता है। अभी चुनाव के चलते मार्च के दूसरे पखवाड़े से लेकर अभी 13 मई मतदान तक रजिस्ट्रियों की संख्या में कमी थी और औसतन 600 रजिस्ट्रियां ही हो पा रही थी, जिसका आंकड़ा अब बढक़र 700 पार हो चुका है।
16 मार्च को चुनाव आयोग ने लोकसभा के सात चरणों की घोषणा की और तुरंत प्रभाव से आचार संहिता लागू हो गई, जिसमें नकदी के लेन-देन पर विशेष निगाह रखी गई। चूंकि जमीनी कारोबार में नकदी यानी दो नम्बर का इस्तेमाल सर्वाधिक होता है, जिसके चलते रजिस्ट्रियों की संख्या में भी कमी देखी गई, क्योंकि नकदी का लेन-देन और आवागमन भी कम हो गया था। 13 मई को इंदौर में मतदान सम्पन्न हुआ और उसके बाद चूंकि चुनावी सख्ती खत्म हो गई, जिसके चलते अगले दिन यानी 14 मई से ही रजिस्ट्रियों की संख्या में वृद्धि होने लगी। उसके पहले जहां औसतन 600 रजिस्ट्रियां हो रही थी, तो अब 700 से 800 के बीच रजिस्ट्रियों का प्रतिदिन औसत पहुंच गया है। वरिष्ठ जिला पंजीयक दीपक कुमार शर्मा के मुताबिक अभी 25 मई तक 255 करोड़ रुपए का राजस्व अर्जित किया जा चुका है, जो कि गत वर्ष की तुलना में 4 प्रतिशत अधिक है। वहीं दस्तावेजों की संख्या इस दौरान 22500 रही और उसमें भी 8 प्रतिशत का इजाफा देखा गया है। श्री शर्मा के मुताबिक इस साल का वार्षिक लक्ष्य 2925 करोड़ मिला है, जबकि गत वर्ष इंदौर जिले से 2415 करोड़ रुपए का राजस्व हासिल किया गया था, जिसमें 500 करोड़ रुपए तक की वृद्धि शासन ने कर दी है। अभी तो रजिस्ट्रियों की संख्या अच्छी है। इसमें आने वाले दिनों में वृद्धि की संभावना है। हालांकि इन दिनों पड़ रही भीषण गर्मी के चलते दिन में रजिस्ट्री करवाने वालों की संख्या कम रहती है। वहीं आसपास के इलाकों से भी लोग नहीं आ पाते हैं।
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